लांड्रिंग मामले में टीएमसी के पूर्व सांसद केडी सिंह को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया
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alt="" width="774" height="436" />क्तूबर 2020 से मार्च 2021 तक के लिए है समझौता
विलियम्स ग्रुप द्वारा अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू को लिखे पत्र से इसका जानकारी का खुलासा हुआ है. भारत सरकार विलियम्स समूह के साथ अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 तक के लिए करार किया है. हालांकि यह राशि अमेरिकी सरकार में पैरवी के लिए अन्य सरकारों द्वारा दी जानेवाली रकम की तुलना में बहुत अधिक नहीं है. विलियम्स ग्रुप के संस्थापक माइकल विलियम्स हैं, जो क्लिंटन प्रशासन के सदस्य रह चुके हैं. इसे भी पढ़ें : राहुल">https://lagatar.in/rahul-gandhi-said-modi-government-is-ashamed-by-tractor-rally-not-by-martyrdom-of-annadata/17583/">राहुलगांधी ने कहा, मोदी सरकार अन्नदाता की शहादत से नहीं, ट्रैक्टर रैली से शर्मिंदा हो रही है
100 मिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च करते हैं कतर और यूएई जैसे देश
जानीमानी पत्रकार उर्वशी सरकार ने अपने ट्विटर एकाउंट पर विलियम्स ग्रुप द्वारा लिखे पत्र को साझा करते हुए यह जानकारी दी है. इस पर एक यूजर ने अपने कमेंट में लिखा है कि यह सचमुच छोटी रकम है. कतर और यूएई जैसे देशों ने पिछले 5 वर्षों में अमेरिका में लॉबिंग के लिए 100 मिलियन डॉलर से अधिक खर्च किये हैं. अमेरिका में राजनीतिक लॉबिंग एक कानूनी व्यवसाय है. लॉबिस्ट सरकारी नीतियों पर प्रभाव डालने का काम करते हैं. चूंकि अमेरिका में इसे कानूनी मान्यता मिली हुई है, इसलिए वहां इस पर होने वाला खर्च भी वैध माना जाता है. जबकि भारत इस तरह के काम को भ्रष्टाचार माना जाता है. अमेरिका में लॉबिस्ट आमतौर पर रिटायर या हारे हुए राजनेता अथवा अमेरिकी प्रशासन में काम कर चुके प्रभावशाली व्यक्ति होते हैं. इसे भी पढ़ें : पीएम">https://lagatar.in/pm-modi-to-launch-corona-vaccination-campaign-virtually-on-january-16-in-the-country/17571/">पीएममोदी देश में 16 जनवरी को वर्चुअली शुरू करेंगे कोरोना वैक्सीनेशन अभियान