नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की होती है पूजा, जानें पूजन विधि और महत्व

LagatarDesk :    पंचाग के अनुसार 19 अप्रैल यानी आज चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है. आज मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मां कालरात्रि नवदुर्गा का सातवां अवतार हैं. मां कालरात्रि को दुर्गा के विनाशकारी अवतारों के रूप में भी जाना जाता है. मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. इनकी पूजा करने से शनिदेव शांत होते हैं.

गधे की सवारी करती है मां कालरात्रि

मां कालरात्रि का रंग कृष्ण वर्ण का है. काले रंग के कारण उनको कालरात्रि कहा गया है.  इनके गले में विद्युत् की अद्भुत माला होती है. इनकी तीसरी आंख भी है. उनके चार हाथ हैं. इनका वाहन गधा है. इनके एक हाथ में अभय मुद्रा धारण करती हैं. दूसरे हाथ में वर मुद्रा धारण करती हैं. इनके हाथों में खड्ग और कांटा भी होता है.

इनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा का नहीं होता आप पर असर

शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए इनकी उपासना अत्यंत शुभ होती है. इनकी उपासना से भय, दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है. कालरात्रि की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का आप पर असर नहीं होता है.

लाल फूल और गुड़ का भोग करें अर्पित

चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी की सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. इनको लाल फूल अर्पित करें. इस दिन भोग में गुड़ चढ़ाये. कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध और पुष्प का अर्पण किया जाता है. इनका प्रिय रंग लाल है. 

ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा?

इस शुभ दिन पर भक्तों को जल्दी उठना चाहिए और स्नान करना चाहिए. फिर भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए. इसके बाद देवी कालरात्रि की मूर्ति की पूजा करनी चाहिए.

मां को खुश करने के लिए इन मंत्रों का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

एकवेनी जपकर्णपुरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कार्णिकारिणी तिलभ्यक्त शरीरिनी।।

वामापदोलासलोहा लताकांतभूषण।

वर्धन मुर्धवाजा कृष्ण कालरात्रिर्भयंकरी।।

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