नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक संघ ने जेट परीक्षा का किया विरोध
Ranchi : नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापक संघ ने जेट परीक्षा का विरोध करते हुए कहा कि सरकार को पहले से नियुक्त नीड बेस्ड सहायक प्राध्यापकों को समायोजित करना चाहिए, इसके बाद ही जेट परीक्षा का आयोजन किया जाए. नीड बेस सहायक प्राध्यापक संघ के अध्यक्ष डॉ. त्रिभुवन साही ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों में लगभग 700 प्राध्यापक वर्ष 2017-18 से काम कर रहे हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि पहले इन नीड बेस प्राध्यापकों को समायोजित किया जाए, फिर अन्य परीक्षाओं और बहाली की प्रक्रिया की जाए. राज्य के विश्वविद्यालयों जैसे रांची विश्वविद्यालय (RU), कोल्हान विश्वविद्यालय (KU), विहार विश्वविद्यालय (VBU), पलामू विश्वविद्यालय (NPU), झारखंड विश्वविद्यालय (JWU), संथाल परगना विश्वविद्यालय (SKMU), देवघर विश्वविद्यालय (DSPMU), और बीबीएमकेयू और इनके अंगीभूत महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 4317 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 2808 पद रिक्त हैं. इस बीच, 700 नीड बेस सहायक प्राध्यापक पिछले सात वर्षों से कार्यरत हैं . डॉ. त्रिभुवन साही ने बताया कि रिक्त पदों को भरने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 2404 पदों के लिए वेकेंसी निकाली है. उन्होंने यह भी कहा कि वे सभी नीड बेस सहायक प्राध्यापक चाहते हैं कि इसी विज्ञापन में उन्हें समायोजित किया जाए. डॉ. साही ने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में नीड बेस प्राध्यापकों की नियमित नियुक्ति का वादा किया था. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि अधीनस्थ विश्वविद्यालयों और सभी अंगीभूत महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों को भरने के लिए एक प्रगतिशील नीति बनाई जाए. झारखंड में 17 साल पहले जेट परीक्षा आयोजित हुई थी और इसके बाद बहाली का जो सिलसिला चला था, वह अब तक विवादों में है. उन्होंने कहा कि सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. जब साल में दो बार नेट परीक्षा होती है, तो फिर जेट परीक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ी? यह नीति समझ से परे है. डॉ. साही ने यह भी सवाल उठाया कि हर साल झारखंड के कितने छात्र नेट परीक्षा पास कर रहे हैं, तो फिर जेट परीक्षा क्यों आयोजित की जा रही है जब जेट परीक्षा पास करने वाले छात्रों को झारखंड की बहाली में कोई लाभ नहीं मिलेगा, तो इसकी आवश्यकता क्या है . उन्होंने यह भी कहा कि जेट परीक्षा में पूरे भारत के अभ्यर्थी शामिल होंगे, तो फिर नेट परीक्षा का औचित्य ही समाप्त हो जाता है.