एक्सप्रेसवे पर दर्दनाक हादसा, पलामू के रहने वाले पांच लोगों की मौत)
प्रमोद मिश्रा भाकपा माओवादी संगठन को पुनर्जीवित करने में जुटा था
एनआईए जांच से संकेत मिले हैं कि कई फ्रंटल संगठनों और छात्र विंगों को भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के इरादे से कैडरों को प्रेरित करने, भर्ती करने और माओवादी की विचारधारा का प्रचार करने का काम सौंपा गया था. वे इस एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए आतंक और हिंसा की साजिश रच रहे थे. जांच से यह भी पता चला है कि प्रमोद मिश्रा भाकपा माओवादी संगठन को पुनर्जीवित करने के प्रयासों में माओवादी के कैडरों और समर्थकों, ओवर ग्राउंड वर्कर्स का नेतृत्व कर रहे थे. इसे भी पढ़ें : चाकुलिया">https://lagatar.in/chakulia-community-toilet-worth-rs-22-lakh-becomes-an-object-of-darshan-in-ward-number-one/">चाकुलिया: वार्ड नंबर एक में दर्शन की वस्तु बना 22 लाख का सामुदायिक शौचालय
झारखंड-बिहार बॉर्डर पर माओवादियों को कर रहा था मजबूत
प्रमोद मिश्रा मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के रफीगंज थाना क्षेत्र के कासमा गांव का रहने वाला है. उसका लंबे समय तक सारंडा में कार्यक्षेत्र रहा है. गिरफ्तारी से पहले वह झारखंड-बिहार सीमा पर छकरबंधा में माओवादियों को मजबूत करने में जुटा था. प्रमोद मिश्रा को नक्सली संगठन में वर्ष 2004 में केंद्रीय समिति सदस्य के रूप में शामिल किया गया था. वर्ष 2007 में पोलित ब्यूरो सदस्य बनाया गया था. वह 11 मई 2008 को धनबाद जिले के विनोद नगर से गिरफ्तार हुआ था. उसे न्यायालय ने सबूत के अभाव में वर्ष 2017 में रिहा कर दिया था. इसके बाद से ही वह क्षेत्र में फिर सक्रिय हो गया था. उस पर पुलिस पर हमले व कई नरसंहार का मास्टरमाइंड माना जाता है. इसे भी पढ़ें : दुमका">https://lagatar.in/high-court-overturns-the-death-sentence-of-gangrape-convicts/">दुमकाकोर्ट ने गैंगरेप के तीन दोषियों को दी थी फांसी की सजा, हाईकोर्ट ने पलटा आदेश, कहा-दोबारा ट्रायल करें [wpse_comments_template]