Ranchi/Bokaro : बोकारो स्थित ईएसएल में वहां के कर्मचारी विष्णु रेड्डी के साथ मारपीट के मामले में बोकारो पुलिस ने भले ही प्राथमिकी दर्ज कर ली है, लेकिन अभी तक आरोपी ESL अधिकारियों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की है. पुलिस से मिल रही छूट का फायदा उठाते हुए ईएसएल कंपनी के अधिकारी विष्णु रेड्डी के पिता श्रीनिवास रेड्डी पर मामले को रफा-दफा करने का दवाब बना रहे हैं.
इस बीच ताजा जानकारी है कि बुधवार को ईएसएल के डिप्टी सीईओ रवीश शर्मा समेत कुछ अन्य अधिकारी विष्णु रेड्डी के पिता श्रीनिवासा रेड्डी से मिले. रवीश शर्मा व अन्य अधिकारी बोकारो मेडीकैंट अस्पताल में पहुंचे थे. अधिकारियों ने उन्हें समझौता करने के लिए कहा. हालांकि विष्णु रेड्डी ने ईएसएल अफसरों से कुछ भी नहीं कहा है.
जानकारी के मुताबिक विष्णु रेड्डी के साथ ईएसएल, बोकारो परिसर में मारपीट की गई थी. विष्णु रेड्डी का पैर की हड्डी टूट गया है. कमर में भी गंभीर चोट है. और वह पिछले कई दिनों से अस्पताल में भरती है.
विष्णु के पिता ने 7 जुलाई को बोकारो के एसपी से मिलने की कोशिश की. नहीं मिलने पर एसपी के नाम एक आवेदन उनके कार्यालय में दिया. मंगलवार ( 8 जुलाई) की सुबह Lagatar Media ने यह खबर प्रकाशित किया कि बोकारो पुलिस वेदांता कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं कर रही है. इसके बाद शाम में पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की.
उल्लेखनीय है कि जिस कर्मचारी विष्णु रेड्डी के साथ मारपीट की घटना हुई है, वह दक्षिण भारत के तेलंगाना का रहने वाला है. वह बोकारो स्थित वेदांता इलेक्ट्रो स्टील में एचआर डिपार्मेंट में दो साल से काम कर रहा था. करीब 15 दिन पहले कंपनी के अधिकारियों ने उस पर किसी ठेकेदार से रिश्वत लेने का आरोप लगाया. विष्णु ने आरोपों को गलत बताया.
आरोप है कि कंपनी के डिप्टी सीईओ रविश शर्मा, सीएफओ आनंद दुबे, कॉमर्शियल हेड आनंद विजेता सहित कुछ अन्य अधिकारियों ने उसके साथ मारपीट की. केबिन में बंद करके उसे मारा-पीटा गया. फिर सुरक्षा विभाग के अधिकारी वेद प्रकाश को सौंप दिया गया. वेद प्रकाश व अन्य ने भी एक कमरे में बंद करके उसके साथ मारपीट की. जान बचाने के लिए विष्णु पहले तल्ले पर स्थित कमरे के कूद गया, जिससे उसका दोनों पैर टूट गया.
गंभीरावस्था में विष्णु को बोकारो के एक निजी अस्पताल में भरती कराया गया. तब से वह अस्पताल में ही है. विष्णु के पिता श्रीनिवास रेड्डी अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं.