लोग परेशान रहें, वैक्सीन नहीं लगा, वो गाइडलाइन बनाने वाले अफसर सरकारी घर के एसी कमरे में बैठा मुस्कुरा रहा होगा

Surjit Singh
कोरोना को लेकर झारखंड सरकार ने सख्ती लागू की है. बिना ई-पास बनावाये, कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता. लोग सुबह से ही ई-पास बनवाने के लिए परेशान रहें. ई-पास के लिए जिस पोर्टल को जारी किया गया, वह खुल ही नहीं रहा. पास कैसे बने. किसी के पास जवाब नहीं.
अव्यवहारिक गाइडलाइन बनाने वाला अफसर सरकारी घर में एसी में बैठा मुस्कुरा रहा होगा. कल ही कुछ अफसरों ने इन दिक्कतों की जानकारी दी थी. बताया था कि पब्लिक को दिक्कत होगी. पर वह अफसर जिद पर अड़ गया. अब जरूर वो लोगों की परेशानी पर मुस्कुरा रहा होगा.

प्रियदर्शन को वैक्सीन लेने जाना था. ई-पास नहीं मिला. नहीं जा पाये. किसी को सब्जी, दूध या राशन लाने जाना है. पास चाहिए. पास बन नहीं रहा. क्या करें. पुलिस मजबूर है. सरकार का आदेश है. क्या करें. गाइडलाइन का पालन तो कराना ही होगा. उनका दोष भी नहीं. हाई कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिवक्ता भी परेशान हैं. बीमार हैं. इलाज के लिए कैसे जायें. ड्राईवर कैसे आयेगा.
धनबाद से अर्जुन लिखते हैं. दस मिनट के काम के लिए एक घंटे से ई-पास बनवाने की कोशिश कर रहा हूं. नहीं बन रहा. संतोष सिंह लिखते हैं, लोगों की सेवा कैसे करें. ई-पास बन ही नहीं रहा. बोकारो से विजय लिखते हैं दवा लाने भी निकल रहे तो रोड पर पास मांगा जा रहा.

ऐसी शिकायतें आम हैं. फेसबुक-ट्वीटर पर बोल रहे हैं. मीडिया में लिख रहे हैं. पर सरकार को इससे फर्क नहीं पड़ता. उसे लगता है उसका अफसर, जो पता नहीं कई सालों से किसी आम आदमी से मिला भी नहीं होगा, सब जानता और समझता है. इसलिए उसने कह दिया कि पोर्टल काम करेगा और सरकार ने मान लिया. जिस सरकार में सामान्य दिनों में पोर्टल ठीक से काम नहीं करता, ऐसे वक्त में यूजर ज्यादा आने पर कितनी देर काम करेगा.

गाइडलाइन तैयार करने वाले अफसर में अगर जरा भी नैतिकता है तो उन्हें यह जरूर सार्वजनिक करना चाहिए कि उनके घर में दूध कैसे आया. सब्जी कैसे आया. खुद लाया या सरकारी मुलाजिम से मंगवाया. आम लोगों की तरह ही अपने मोबाइल से ई-पास बनवाया क्या? अगर नहीं कराया तो आपने सरकारी पद पर होने का गलत लाभ क्यों लिया. आपको शर्म आनी चाहिए. या आपके सरकारी मुलाजिम ने कानून तोड़ कर आपके लिए सब्जी-दूध लाये.

एक सवाल और है. मुख्यमंत्री ने शनिवार को ट्वीट किया कि पहले दिन 1.20 लाख लोगों ने पास बनवाया. यह आंकड़ा तब है, जब पोर्टल बार-बार क्रैश कर रहा था. नहीं करता तो और ज्यादा बनते. मतलब हर जिले से औसतन दस हजार लोग सड़क पर निकलेंगे. तो फिर कड़ाई और सख्ती क्यों है. सिर्फ दिखावे के लिए.