गांव में नहीं है चापाकल
Dumka: राज्य में पहाड़िया जनजाति विलुप्ति के कगार पर है. इसके विकास के लिए कई योजनाएं भी चलायी जाती हैं, लेकिन लाभ उन तक नहीं पहुंच पाता है. राज्य गठन के बाद सुधार की आस जगी थी, लेकिन स्थिति में कुछ खास परिवर्तन नहीं नजर आ रहा है. यही स्थिति उपराजधानी दुमका पहाड़िया गांव अमलागढ़ी का है.
इसे भी पढ़ें- ममता">https://lagatar.in/mamta-calls-pm-modi-shah-like-hitler-stalin-appeals-to-opposition-leaders-to-unite/79204/">ममता
ने पीएम मोदी, शाह को हिटलर, स्टालिन जैसा करार दिया, विपक्षी नेताओं से एकजुट होने की अपील की
दुमका से महज 8 किलोमीटर दूर स्थित आदिम जनजाति पहाड़िया का यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल नही मिल पा रहा है. स्थिति यह है कि ग्रामीण गड्ढे, तलाब और कच्चे कूएं का पानी पीने को विवश हैं. बताया जाता है कि इस इलाके में टाइफाइड और जौंडिस जैसी बीमारी फैलती रहती है.
इसे भी पढ़ें- राहुल">https://lagatar.in/rahul-gandhi-continues-to-attack-modi-government-questions-zero-vaccine-policy-black-fungus/79312/">राहुल
गांधी का मोदी सरकार पर हल्ला बोल जारी, जीरो वैक्सीन नीति, ब्लैक फंगस पर सवाल दागे
गांव में नहीं है पक्की सड़क
बता दें कि हाल में भी कुछ लोगों को टायफाइड हुआ था. इन सब बीमारियों का सीधा संबंध पेयजल से है. पक्की सड़क भी नहीं है. इससे बोरिंग की गाड़ी भी वहां नहीं जा पाती है. इस वजह से चापाकल भी गांव में अभी तक नही लगा है. ग्रामीणों का कहना है कि जब चुनाव होता है तो नेता आते हैं. उसके बाद फिर कभी दिखाई नहीं देते हैं. जाहिर है ऐसे में विलुप्ति की ओर बढ़ रहे इन पहाड़िया लोगों को बचाने की जरूरत है.
इसे भी पढ़ें- प्रभारी">https://lagatar.in/ranchi-university-relying-on-the-principals-in-charge-and-contracted-teachers-has-made-a-permanent-appointment-only-once-after-the-formation-of-the-state/79767/">प्रभारी
प्राचार्यो और अनुबंधित शिक्षकों के भरोसे रांची यूनिवर्सिटी, राज्य गठन के बाद सिर्फ एक बार हुई है स्थायी नियुक्ति
[wpse_comments_template]