पाकुड़:  वन क्षेत्र पदाधिकारी ने अवैध पत्थर उत्तखनन का मामला उजागर किया, आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज

Pakur: जिले में हो रहे अवैध पत्थर उत्तखनन के खिलाफ पाकुड़िया थाना क्षेत्र के गोलपुर मौजा में वन विभाग द्वारा कार्रवाई की गई. मिली सूचना पर सख्त कदम उठाते हुए वन क्षेत्र पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने पाकुड़िया प्रखंड के गोलपुर मौजा में छापेमारी की और प्लाट 244 की वन भूमि पर अवैध पत्थर उत्तखनन का मामला पकड़ा. छापेमारी के दौरान उत्तखनन में शामिल लाखों रुपये के पोकलेन मशीन को जप्त कर लिया गया. इसे भी पढें-एनजीटी">https://lagatar.in/ngt-imposes-fine-of-650-crores-stir-among-stone-traders/8342/">एनजीटी

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देवीलाल मुर्मू और राजा मियां पर प्राथमिकी दर्ज

वन क्षेत्र पदाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए जिला परिषद सदस्य देवीलाल मुर्मू और राजा मियां के खिलाफ पाकुड़िया थाने में एफआईआर दर्ज कराया. जिप सदस्य देवीलाल मुर्मू और राजा मियां के खिलाफ भारतीय वन अधिनियम1927 की धारा 26 एवं 42 झारखंड वनोपज नियमावली 2020 की धारा 18 सहित अन्य धाराओं के तहत पाकुड़िया पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की. इस मामले में रेंजर श्री सिंह ने बताया कि वन भूमि में अवैध खनन कर पत्थर चोरी किये जाने की जानकारी मिलने पर यह कार्रवाई की गयी है. यहां उलेखनीय है जिले के सुन्दरापहाडी रद्दीपुर गोलपुर खकसा खगाचुआं आदि दर्जनों ग्रामीण इलाके जो पश्चिम बंगाल से काफी नजदीक हैं, वहां से अवैध पत्थर का उत्तखनन कर सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने का काम जोरशोर से हो रहा है. इसमे कई माफिया सता पक्ष से साफ तौर पर जुड़े हुए हैं. स्थिति यह है कि इन पत्थर माफिया द्वारा कार्रवाई करने वाले अधिकारियों को ट्रांसफर कराने तक की धमकी भी दी जाती है। इसे भी पढें-Lagatar">https://lagatar.in/lagatar-impact-raids-on-illegal-stone-mines-seized-jcb-and-other-materials-from-the-spot/7632/">Lagatar

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होता रहा है अवैध उत्तखनन का कार्य

जिला मुख्यालय के आसपास से लेकर सुदूर इलाकों तक में अवैध खनन पाकुड़ के लिए कोई नई बात नहीं है. सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, अवैध खनन में सत्ता की धौंस होती रही है. बालू, कोयला तथा पत्थर के अवैध कारोबार में आज भी सत्ता की हनक बरकरार है.. बताया जाता है कि बीते कई दिनों से जिला परिषद सदस्य देवीलाल मुर्मू और राजा मियां वन भूमि पर अवैध तरीके से पत्थरों का उत्तखनन कर रहे थे. गोलपुर मौजा के मामले से इस बात को बल भी मिलता है. इसे भी पढें-किसान">https://lagatar.in/is-the-kisan-movement-only-an-event/12696/">किसान

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