Rio de Janeiro : प्रधानमंत्री मोदी ने ब्राजील के रियो-डी-जेनेरियो में आयोजित 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में ग्लोबल साउथ, शांति और सुरक्षा सहित वैश्विक शासन में सुधार विषय पर रविवार को अपनी बात रखी. पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ (विकासशील और दक्षिणी गोलार्ध के देश) के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि इसकी आवाज आज की दुनिया में पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.
पीएम ने ग्लोबल साउथ के संदर्भ में विश्व की प्रमुख संस्थाओं को सलाह देते हुए कहा कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता बनाए रखने के लिए इन्हें उचित प्रतिनिधित्व देना चाहिए. प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मापदंडों का शिकार रहा है.
जलवायु वित्त, सतत विकास और प्रौद्योगिकी की पहुंच जैसे अहम मुद्दों पर ग्लोबल साउथ देशों को अब तक सिर्फ प्रतीकात्मक समर्थन ही मिला है. उनकी वास्तविक जरूरतें पूरी नहीं हुई हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 20वीं सदी में बनी वैश्विक संस्थाएं मानवता के दो-तिहाई हिस्से को आज भी पर्याप्त महत्व नहीं देतीं. कहा कि कई देश ऐसे हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देते हैं, लेकिन उन्हें आज तक निर्णय लेने वाली प्रमुख मंचों पर जगह नहीं मिली है.
पीएम मोदी ने तंज कसते हुए कहा कि ग्लोबल साउथ के बिना, ये संस्थाएं उस मोबाइल फोन की तरह हैं, जिसमें सिम कार्ड तो है लेकिन नेटवर्क नहीं हैं. इतना ही नहीं,पीएम मोदी ने एआई और तेज तकनीकी विकास के युग में मौजूदा वैश्विक संस्थाओं की निष्क्रियता पर करार हल्ला बोला.
पीएम ने कहा कि आज जब टेक्नोलॉजी हर सप्ताह अपडेट हो रहीं हैं, तो यह कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता कि वैश्विक संस्थाएं पिछले 80 वर्षों से बिना किसी सुधार के चलें. पीएम मोदी ने कहा कि 21वीं सदी का सॉफ्टवेयर, 20वीं सदी की टाइपराइटर पर नहीं चल सकते
पीएम मोदी ने BRICS में हुए हालिया विस्तार को समय के अनुसार ढलने को सकारात्मक बताया. उन्होंने कहा कि ऐसा ही बदलाव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी नजर आना चाहिए.
उन्होंने कहा कि जब BRICS जैसी संस्थाएं समय के साथ बदल सकती हैं, तो अन्य वैश्विक संस्थाओं को इसी तरह सुधार करना चाहिए.
बता दें कि BRICS ने अपनी सदस्यता का विस्तार कर मिस्र, सऊदी अरब, यूएई, ईरान, इथियोपिया और इंडोनेशिया जैसे देशों को शामिल कर लिया है.