आवास योजना के प्रदर्शन में झारखंड दूसरे पायदान पर यह कार्यक्रम पिछले तीन वर्षों से इस जिला में चलाया जा रहा है. जिससे की इस जिले में सरसों का छेत्रफल काफी बढ़ा है. इसी परियोजना के तहत पिछले वर्ष प्रखण्ड मे तेल पेराइ की मशीन लगाई गई है. इससे किसानों को सरसों की खेती के साथ ही तेल पेराई से भी मुनाफा हो रहा है. इसे भी पढ़ें- आज">https://lagatar.in/chief-minister-uddhav-thackeray-announced-a-night-curfew-in-maharashtra-from-today/11673/">आज
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तिलहन की खेती से बढ़ेगी आय
इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए दिव्यायन के वैज्ञानिक डॉ अजित सिंह ने बताया कि रांची जिला का कुल भगोलिक छेत्रफल 7,58,000 हेक्टेयर है, जिसमे 2,55,000 हेक्टेयर मे खेती की जाती है. जब की एक से अधिक फसल का छेत्रफल सिर्फ 17000 हेक्टर ही है. झारखंड मे धान फसल के बाद बंजर रहने वाली जमीन का छेत्रफल 4,75,000 हेक्टेयर है. रांची मे करीब 42,000 से 45,000 हेक्टेयरे जमीन धान के बाद बंजर रह जाती है. इस जमीन का उपयोग यदि तेलहन फसल लगाने में उपयोग किया जाए तो इससे किसानों को धान फसल के साथ ही सरसों को लगाने से किसानो की आमदनी बढ़ेगी. सरसों के फसल मे लागत काफी कम लगती है एवं सिचाई की भी कम जरूरत होती है. इसे भी पढ़ें- रेलवे">https://lagatar.in/people-living-illegally-in-railway-quarters-disconnected-electricity-connection-warnings-empty-houses/11685/">रेलवेक्वार्टर में अवैध रूप से रह रहे लोगों का कटा बिजली कनेक्शन, मिली चेतावनी- खाली करें घर
ऐसे बढ़ेगी किसानों की आमदनी
विगत तीन सालों के परिणाम के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि धान की खेती के बाद परती भूमि में सरसों की खेती को बढ़ावा दिया जाए एवं साथ ही साथ समूह में तेल पेराइ की मशीन लगवाया जाए तो किसानो की आमदनी में काफी बढ़ोत्तरी होगी. इसे भी पढ़ें- ठंड">https://lagatar.in/ranchi-deputy-commissioner-meeting-on-fears-of-corona-rising-in-cold-nestle-extended-a-helping-hand/11693/">ठंडमें कोरोना के बढ़ने की आशंका को लेकर रांची उपायुक्त ने की बैठक, नेस्ले ने बढ़ाया मदद का हाथ