alt="रांचीः कई महीनों के बाद स्कूल खुले, जानें कैसी रही स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति" width="662" height="497" /> उर्सलाइन स्कूल की छात्राएं[/caption] इसे भी पढ़ें- CM">https://lagatar.in/ranchi-dc-and-ssp-mourned-in-cm-attack-on-convoy-constituted-committee-to-investigate/15575/">CM
काफिले पर हमला मामले में रांची DC और SSP को शोकॉज, जांच के लिए कमेटी गठित हालांकि कॉलेजों में छात्राओं की संख्या 50 फीसदी रही कुछ स्कूलों में क्लास के बजाय स्टूडेंट्स को हॉल में सोशल डिस्टेंसिंग में बैठाया गया. जारी दिशा निर्देश के अनुसार स्कूल आने का फैसला छात्र-छात्राओं के अभिभावक के हित में था. लोग कोरोना को लेकर अभी भी डरे हुए हैं. संक्रमण के डर से अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं. जिससे स्कूल में स्टूडेंट्स की उपस्थिति बेहद कम है. इसका प्रभाव स्कूल के अटेंडेंस् पर पड़ रहा है. हालांकि, प्राइवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों में स्टूडेट्स की उपस्थिति 20 प्रतिशत से भी कम रही.
क्या कहा विद्यालयों के के प्रधानाध्यापक ने
- उर्सलाइन स्कूल की वाइस प्रिंसिपल सिस्टर मंजू ने कहा कि राज्य सरकार ने बोर्ड एग्जाम को ध्यान में रखते हुए 10वीं और 12वीं के स्कूलों को खोलने का निर्णय लिया. छात्रों की उपस्थिति 50 फीसदी होने से परीक्षा परिणाम पर सीधा असर पड़ेगा. हमने स्कूल में सभी सूरक्षा प्रोटोकॉल्स् को अपनाया हैं. लेकिन फिर भी छात्रों को स्कूल भेजने का अंतिम फैसला उनके पैरेंट्स का होगा. साथ ही उपस्थिति बढ़ाने का भी प्रयास किया जा रहा है, धीरे-धीरे उपस्थिति बढ़ सकती हैं.
- बहू बाजार स्थित सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि क्लास में गिने-चुने बच्चे ही पहुंच रहे हैं. कुछ अभिभावक कोरोना के डर से बच्चों को स्कूल भेजने में पहरेज कर रहे हैं. तो वहीं कुछ स्टूडेंट्स स्कूल आना नहीं चाहते. इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है.