आरबीआई का आकलन, सितंबर 2021 तक 25 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है बैंकों का एनपीए

 MumbaI :   बैंकों का सकल एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) इस साल सितंबर तक 13.7 फीसदी तक पहुंच सकता है.  बैंकों का फंसा कर्ज (एनपीए) पिछले साल सितंबर में 7.5 फीसदी था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) में यह जानकारी दी गयी है. रिपोर्ट के अनुसार, अगर वृहत आर्थिक माहौल और खराब होता है और गंभीर दबाव की स्थिति उत्पन्न होती है तो सकल एनपीए अनुपात 14.8 प्रतिशत तक जा सकता है. द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी परिस्थिति में बैंकों का एनपीए 25 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच सकता है. इससे पहले बैंकों ने एनपीए को लेकर ऐसा दबाव 1996-97 में महसूस किया था, जब बैंकों का एनपीए 15.7 फीसदी पर पहुंच गया था. इसे भी पढ़े : सुप्रीम">https://lagatar.in/center-demands-supreme-court-to-consider-adultery-as-an-offense-in-armed-forces-three-judges-refer-case-to-cji/17525/">सुप्रीम

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सितंबर 2020 में 7.5 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2021 तक 13.5 प्रतिशत हो सकता है.

वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, दबाव की स्थिति के विश्लेषण से यह संकेत मिलता है कि सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए तुलनात्मक आधार पर सितंबर 2020 में 7.5 प्रतिशत से बढ़कर सितंबर 2021 तक 13.5 प्रतिशत हो सकता है. बैंक समूह में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए अनुपात सितंबर 2020 में 9.7 प्रतिशत था जो सितंबर 2021 में 16.2 प्रतिशत पर पहुंच सकता है. इसे भी पढ़े :  जेएनयू">https://lagatar.in/nsa-ajit-doval-inspired-the-youth-of-jnu-by-giving-the-message-of-swami-vivekananda/17513/">जेएनयू

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निजी क्षेत्र और विदेशी बैंकों का सकल एनपीए  7.9 और 5.4 प्रतिशत हो सकता है

वहीं निजी क्षेत्र और विदेशी बैंकों का सकल एनपीए अनुपात 4.6 प्रतिशत और 2.5 प्रतिशत से बढ़कर क्रमश: 7.9 प्रतिशत और 5.4 प्रतिशत हो सकता है.वृहद आर्थिक माहौल और बिगड़ने या दबाव बढ़ने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों और विदेशी बैंकों का सकल एनपीए सितंबर 2021 तक बढ़कर क्रमश: 17.6 प्रतिशत, 8.8 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत हो सकता है.इसमें कहा गया है, सकल एनपीए अनुपात का यह अनुमान बैंक के पोर्टफोलियो के मूल्य में कमी का संकेत है. बता दें कि नवंबर, 2020 में ही रघुराम राजन सहित आरबीआई के चार पूर्व गवर्नरों ने कोविड-19 के कारण पैदा हुए आर्थिक संकट से उबरने में सरकारी बैंकों के सामने सबसे बड़ी समस्या के रूप में एनपीए को ही बताया था और कहा था कि सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए.

निजी क्षेत्र के लिए संसाधनों की कमी हो जाने की आशंका

रघुरान राजन ने कहा था, बैड लोन यानी कि एनपीए (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स या गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) की समस्या से जूझ रहे सरकारी बैंक महामारी के चलते बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था को उबारने की दिशा में एक बड़ा संकट होंगे, जब तक कि सरकार इनकी मदद नहीं करती है. वहीं, वाईवी रेड्डी ने कहा था कि बैड लोन न सिर्फ समस्या है बल्कि अन्य समस्याओं का प्रभाव है. इसी तरह डी. सुब्बाराव एनपीए को एक बहुत बड़ी और वास्तविक समस्या के रूप में देखा था. सी रंगराजन ने नोटबंदी जैसे नीतिगत फैसलों को इस समस्या में बढ़ोतरी का जिम्मेदार ठहराया था. आरबीआई ने सोमवार को कहा कि महामारी के कारण बढ़ी सरकारी उधारी ने इसकी निरंतरता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी है. आरबीआई ने कहा कि इससे निजी क्षेत्र के लिए संसाधनों की कमी हो जाने की आशंका है.