क्या की गई है अनुशंसा
विकास आयुक्त की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय समिति ने 01.10.2019 द्वारा लिए गए निर्णय की समीक्षा की. समिति द्वारा संकल्प संख्या 2623/वि० दिनांक 01.10.2019 द्वारा लिए गए निर्णय को छठे वेतन पुनरीक्षण के परिप्रेक्ष्य में गठित फिटमेंट कमिटी की अनुशंसा के फलस्वरूप निर्गत वित्त विभागीय संकल्प संख्या 660/वि० दिनांक 28.02.2009 में शामिल प्रावधानों के अनुरूप नहीं पाया. कहा गया कि वैसी स्थिति में पद विशेष के लिए छठे वेतन पुनरीक्षण के परिप्रेक्ष्य में किसी अलग निर्णय के तहत वेतन निर्धारण के लिए न्यूनतम वेतन निर्धारित किए जाने का कोई औचित्य स्थापित नहीं होता है. वित्त मंत्रालय द्वारा भी स्पष्ट किया गया है कि यदि दिनांक 01.01.2006 के पूर्व से कार्यरत कर्मी का पुनरीक्षित वेतनमान में दिनांक 01.01.2006 को निर्धारित मूल वेतन, उसी पद पर पुनरीक्षित वेतनमान में सीधे नियुक्त कर्मी का प्रारम्भिक वेतन से निम्नतर है, वैसी स्थित में दिनांक 01.01.2006 से पूर्व कार्यरत कर्मी का मूल वेतन प्रारम्भिक वेतन होगा.क्या कहता है सचिवालय सेवा संघ
संघ का कहना है कि कैबिनेट का फैसला न्याय संगत नहीं है. 2006 से पूर्व नियुक्त लगभग 300 पदाधिकारी इनकम टैक्स के रूप में लगभग 17.10 करोड़ रुपए भी जमा कर चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए संघ ने कहा है कि नियोक्ता की ओर से गलत गणना या किसी नियम की गलत व्याख्या के आलोक में कर्मचारियों को किये गये अतिरिक्त भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती है. संघ का यह भी कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर निर्गत आदेश के आलोक से राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी जा सकती है. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए विभिन्न न्याय निर्णयों में भी कहा गया है कि यदि प्रक्रिया का अनुपालन करते हुए वेतन निर्धारण की कार्रवाई की जाती है तो उसे बिना स्पष्टीकरण और युक्ति युक्त अवसर प्रदान किए बिना लिया गया निर्णय अविवेक पूर्ण होगा.सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया है फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नियोक्ता की ओर से गलत गणना या किसी नियम की गलत व्याख्या के आलोक में कर्मचारियों को किये गये अतिरिक्त भुगतान की वसूली नहीं की जा सकती है.यह फैसला न्यायाधीश पी.एस नरसिम्हा और न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने ओडिशा सिविल कोर्ट में कार्यरत निजी सहायकों की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के बाद यह फैसला दिया है. वहीं झारखंड सरकार ने पिछले दिनों कैबिनेट प्रस्ताव पारित कर सचिवालय सहायकों और निजी सचिवों के वेतन निर्धारण के लिए वर्ष 2019 में जारी किये गये संकल्प को वापस ले लिया. इस संकल्प से वेतन वृद्धि का लाभ वर्ष 1996 के पूर्व पदस्थापित सचिवालय सहायकों और निजी सचिवों को मिला था. कैबिनेट के फैसले में कहा गया था कि वित्त विभाग द्वारा 2019 में जारी संकल्प को महालेखाकार ने नियमानुसार नहीं माना है. महालेखाकार का कहना है कि एक वेतन पुनरीक्षण के मामले में दो पे-मैर्टिक्स नहीं बनाया जा सकता है. इसे भी पढ़ें – कांग्रेस">https://lagatar.in/attack-on-modi-government-in-congresss-national-convention-kharge-raised-issues-of-evm-fake-voter-list-monopoly-in-economy-sc-st-reservation-american-tariff/">कांग्रेसके राष्ट्रीय अधिवेशन में मोदी सरकार पर हमला, EVM, फर्जी वोटर लिस्ट, अर्थव्यवस्था में monopoly, SC, ST आरक्षण, अमेरिकी Tariff का मुद्दा उठाया खड़गे ने