- देवानंद की फिल्में सकारात्मकता से ओत-प्रोत होती हैं : विजय केसरी
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देवानंद की फिल्में सकारात्मकता से ओत-प्रोत होती हैं : विजय केसरी
संगम के संयोजक विजय केसरी ने कहा कि देवानंद ने अपनी पूरी जिंदगी भारतीय सिनेमा को समर्पित कर दी. उन्होंने खुद के अभिनय के बल पर अर्श से फर्श तक अपना मुकाम बनाया था. उनकी फिल्में सकारात्मकता से ओत-प्रोत होती हैं. दर्शक उनकी फिल्में देखकर एक विशेष ऊर्जा का अनुभव करते हैं. उनकी फिल्में आज भी बड़े ही उत्साह के साथ देखी जाती है. आज जब अवसाद के कारण आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में देवानंद की फिल्में लोगों में एक नई ऊर्जा भर सकती है. देवानंद वास्तविक जीवन में भी एक नायक थे. उनमें एक नायक के सभी गुण में विद्यमान थे. उनके जीवन से हम सभी को संघर्ष करने की सीख लेनी चाहिए. इसे भी पढ़ें : बेरमो">https://lagatar.in/bermo-5-7-october-strike-in-coal-india-will-be-historic-united-front/">बेरमो: कोल इंडिया में 5-7 अक्टूबर की हड़ताल ऐतिहासिक होगी- संयुक्त मोर्चा
सहजता और सरलता की लेनी चाहिए सीख
शिक्षाविद वीरेंद्र जायसवाल ने कहा कि देवानंद का किरदार जितना बड़ा था, वास्तविक जीवन में भी वे उतने ही सरल व्यक्ति थे. वे नवकेतन में कार्यरत छोटे से छोटे कर्मचारियों के आमंत्रण पर उनके घर जाया करते थे. उनकी यह सहजता जीवन पर्यंत बनी रही थी. उनके जीवन से हम सभी को सहजता और सरलता की सीख लेनी चाहिए. पूर्व कार्यपालक अभियंता शंभू शरण सिंह ने कहा कि देवानंद सदाबहार अभिनेता के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने कभी भी नकारात्मक फिल्मों में अभिनय नहीं किया. उनकी फिल्मों से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. आज भी उनकी फिल्मों को उत्साह के साथ देखा जाता है. इसे भी पढ़ें : कोडरमा">https://lagatar.in/koderma-race-organized-for-cleanliness-630-military-students-took-part/">कोडरमा: स्वच्छता के लिए दौड़ आयोजित, 630 सैन्य छात्रों ने लिया हिस्सा
देवानंद के फैंस ने अपने अनुभव साझा किये
व्यवसायी सह देवानंद फैन जयप्रकाश गुप्ता ने कहा कि अपने चार मित्रों के साथ देवानंद से मिलने का मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हुआ था. उनसे मिलने के पूर्व कई भ्रांतियां मन में थी. उन्होंने जिस गर्मजोशी के साथ चारों का स्वागत किया था, उसे हम कभी नहीं भूल सकते है. व्यवसायी सुरेंद्र गुप्ता ने कहा कि आज से चालीस वर्ष पूर्व नवकेतन स्टूडियो में मुझे देवानंद साहब से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था. हजारीबाग के घनश्याम दुबे नवकेतन में प्रोडक्शन मैनेजर के पद पर कार्यरत थे. उन्होंने ने ही मुझे देवानंद से मिलवाया था. साधारण व्यक्ति से भी देवानंद ने उत्साह के साथ मुलाकात की थी. उनके साथ मैंने तस्वीर भी खिंचवाई थी. उनकी सहजता और सरलता आज भी याद आती है. इसे भी पढ़ें : देवघर">https://lagatar.in/cricketer-saurabh-tiwari-reached-deoghar-worshiped-in-baba-temple/">देवघरपहुंचे क्रिकेटर सौरभ तिवारी, बाबा मंदिर में की पूजा
नई सकारात्मक दृष्टि प्रदान करने वाली बनानी चाहिए फिल्म
मोहन टॉकीज के प्रोपराइटर योगेंद्र प्रसाद गुप्ता ने कहा कि हमारे टॉकीज में देवानंद की काफी फिल्में प्रदर्शित हुई थी. उनकी फिल्में लगते ही सिनेमा हॉल में दर्शकों की भीड़ आ जाती थी. दर्शक देवानंद की फिल्में देखकर हंसते हुए निकलते थे, यही उनके फिल्म की खासियत थी. आज के निर्माता निर्देशक और लेखकों को इस तरह की ही फिल्में बनानी चाहिए. जो लोगों को मनोरंजन के साथ एक नई सकारात्मक दृष्टि भी प्रदान करें. कार्यक्रम में भीम मेहता, अखिलेश सिंह, अजीत कुमार गुप्ता, महावीर महतो,गोपाल ठाकुर, डॉ सुरेश प्रसाद, सतीश होर्रा , बीना अखोरी,देवनारायण प्रजापति, कृष्ण प्रसाद गुप्ता आदि सम्मिलित हुए. धन्यवाद ज्ञापन अखिलेश सिंह ने किया. इसे भी पढ़ें : रांची:">https://lagatar.in/ranchi-assistant-excise-commissioner-suspended-for-selling-spurious-liquor-in-shop/">रांची:दुकान में नकली शराब बेचने के मामले में सहायक उत्पाद आयुक्त निलंबित [wpse_comments_template]