रांची विश्वविद्यालय के टीआरएल विभाग में विश्व आदिवासी दिवस पर संगोष्ठी

Ranchi : विश्व आदिवासी दिवस पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग में संगोष्ठी आयोजित की गयी. इसकी अध्यक्षता समन्वयक डॉ. हरि उरांव ने की. कार्यक्रम में डॉ. उरांव ने कहा कि आज पूरे विश्व में यदि पर्यावरण की रक्षा कोई करता है तो वह है आदिवासी समाज. आदिवासी समाज ही एक ऐसा समाज है, जिसने सभ्य समाज को जीने का सलीका सिखाया. आज आदिवासीयत की जीवन शैली से पूरा विश्व प्रेरणा ले रहा है. उन्होंने कहा कि प्रकृति व पर्यावरण की चिंता आदिवासी समाज सदियों से करता आ रहा है. आदिवासी समाज प्रकृति व पर्यावरण का पूजन, संरक्षण और संवर्द्धन सदियों से करते आ रहा है. जल, जंगल और जमीन के संरक्षण में इसकी भूमिका अग्रणी रही है. विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर हमें आदिवासियों की संस्कृति, उनकी भाषा, उनके अस्तित्व की रक्षा, उनमें अशिक्षा कैसे दूर हो, इन तमाम बातों पर गहन मंथन, चिंतन करने की आवश्यकता है. इसे भी पढ़ें -विश्व">https://lagatar.in/the-original-manifesto-of-world-tribal-day-should-be-implemented-in-the-country-bhubaneshwar-kewat/">विश्व

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विकास नहीं हो पाया है- डॉ. उमेश नंद तिवारी

नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. उमेश नंद तिवारी ने कहा कि आदिवासी दिवस सही मायने में आदिवासियों के उत्थान और उनके अस्तित्व की रक्षा के लिए मनाया जाता है. आदिवासी समाज में विकास नहीं हो पाया है, इसलिए उनके चहुंमुखी विकास को केंद्र में रखकर उनका उत्थान और संरक्षण की दिशा में पहल करने की आवश्यकता है.

यह ऐतिहासिक दिवस है- डॉ. बीरेंद्र कुमार महतो

डॉ. बीरेंद्र कुमार महतो ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस ऐतिहासिक दिवस है. यह दिवस आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए शुरू किया गया, साथ ही आदिवासियों के पिछड़ेपन को दूर कर उन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प लेने का यह दिन है. उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व वर्ल्ड इंडीजीनस डे मना रहा है.

आदिवासी महिला परचम लहरा रही हैं- डॉ. किशोर सुरीन

स्नातकोत्तर मुंडारी विभाग के डॉ. किशोर सुरीन ने कहा कि दिवासी महिलाएं ग्रामीण परिवेश से बाहर आकर आधुनिक शिक्षा से प्रशिक्षित विभिन्न विभागों में अपना परचम लहरा रही हैं और समाज, देश और दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं. डॉ रामकिशोर भगत ने कहा कि आज हम अपने को आदिवासी कहने पर गौरवान्वित महसूस करते हैं. आदिवासी समाज में शिक्षा का अपना तौर तरीका है. उनकी अपनी सामाजिक संस्थाएं हैं, जिसके माध्यम से उन्हें शिक्षित किया जाता है. इसे भी पढ़ें -मुख्यमंत्री">https://lagatar.in/chief-minister-shramik-yojana-72130-job-cards-made-in-2-years-allotment-of-1203693-days-work/">मुख्यमंत्री

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आदिवासी समुदाय हमेशा से ही संघर्ष करता रहा है- डॉ सोरेंग

डॉ मेरी एस सोरेंग ने कहा कि आदिवासी समुदाय हमेशा से ही संघर्ष करता रहा है. आज हम काफी मजबूत स्थिति में अपने को देखते हैं. उन्होंने खासकर के झारखंड के खड़िया जनजाति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला. खड़िया गीत के माध्यम से अपने समाज के वीर शहीदों का बखान किया. प्राध्यापक महामनी उरांव ने कहा कि धीरे- धीरे हमारे समाज के लोग जागरूक हो रहे हैं. हम आत्मनिर्भर हो रहे हैं, यह बहुत बड़ी बात है आदिवासी समाज के लिए. आदिवासियों की ओर ध्यान आकृष्ट करना ही विश्व आदिवासी दिवस का मुख्य उदेश्य है. आज पूरा विश्व पर्यावरण संरक्षण की बात कर रहा है, परंतु हमें यह जानना चाहिये कि यह कार्य आदिवासी समाज सदियों से ही करते आ रहा है.

यह दिन हमलोगों का संकल्प लेने का दिन है - बीरेन्द्र उरांव

बीरेन्द्र उरांव ने कहा कि यह दिन हमलोगों का संकल्प लेने का दिन है. नई शुरुआत करने का दिन है. हम आदिवासियों को हेय दृष्टि से देखते हैं. परंतु हमें यह कतई नहीं भूलना चाहिए कि आज हमारी प्रकृति, संस्कृति बची हुई है, तो इसमें आदिवासियों का बहुत बड़ा योगदान है. इस कार्यक्रम में युगेश प्रजापति, विक्की मिंज, सेरोफिना हेमरोम, डॉ तारकेश्वर सिंह मुंडा, मनय मुंडा, नलय राय, प्रेम मुर्मू, करम सिंह मुंडा, धीरज उरांव, विकास उरांव, युगेश कुमार महतो, श्याम कंडुलना, रवि कुमार, फेकुवा उरांव, दीपिका मेहता, तन्नु कुमारी, प्रिया ठाकुर उपस्थित रहे. इसे भी पढ़ें - सरला">https://lagatar.in/sarla-birla-university-students-will-go-to-university-of-california-for-internship/">सरला

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