किसानों का दर्द सुनो सरकार
किसानों का दर्द : ऐसे समझें उनकी परेशानी
1:- चियांकी के किसान धनेश कुमार कहते हैं, आखिर हम लोग खेती बारी से कैसे आत्मनिर्भर बनेंगे, जब हम लोग आलू का बीज 48 रुपए खरीद कर खेत में लगाए थे. जब आलू तैयार हो गया और उसे बाजार में बेचना चाह रहे हैं तो बाजार भाव 15 रुपए हो गया. यह चिंता का विषय है. ऐसे में हम लोगों पर बोझ बढ़ता चला जा रहा है. 2:- सतबरवा के किसान मनदीप यादव कहते हैं, पलामू में जमीन बंजर क़िस्म की है. यहां भगवान भरोसे खेती होती है. अगर बारिश अच्छी हुई तो फसल भी अच्छी होती है. इस वर्ष तो अच्छा धान हुआ, लेकिन बेचने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. ब्लॉक स्तर पर धान क्रय केंद्र तो खुले हैं लेकिन अभी धान नहीं लिया जा रहा है. ऐसे में किसान खेती बारी पर कैसे निर्भर होगा. 3:-पड़वा के किसान राम प्रवेश सिंह ने कहते हैं कि हमें नहीं लगता धान और गेहूं की उपज से किसान आत्मनिर्भर बन पाएगा, क्योंकि सरकार द्वारा किसानों को लाभ नहीं दिया जाता है. अगर लाभ भी दिया जाता है तो बिचैलिया के बीच में बंट जाता है. पलामू में बारिश की समस्या है. लेकिन इस वर्ष बारिश अच्छा होने से धान की उपज अच्छी हुई है. कहते हैं, सरकार की गलत नीतियों के कारण किसानों पर बिचौलिया का दबाव ज्यादा बढ़ गया है. इसे भी पढ़ें- रांची">https://lagatar.in/ranchi-farmers-are-not-getting-msp-on-paddy-middlemen-are-taking-advantage-andhra-pradesh-is-getting-cheaper/11804/">रांची: किसान को नहीं मिल रहा धान पर MSP, बिचौलिए उठा रहे हैं फायदा, सस्ती कीमत पर ले जा रहे आंध्रप्रदेश
कृषि अनुसंधान केंद्र में आकर ट्रेनिंग लें किसान, होगा फायदा
[caption id="attachment_11899" align="aligncenter" width="600"]alt="" width="600" height="400" /> कृषि वैज्ञानिक शैलेंद्र कुमार[/caption] कृषि वैज्ञानिक शैलेंद्र कुमार का कहना है कि पलामू में ज्यादा जमीन बंजर है. पलामू सुखाड़ क्षेत्र भी है. किसानों को कैसे खेती करनी चाहिए, इसके लिए किसानों को यहां के कृषि अनुसंधान केंद्र में आकर ट्रेनिंग लेनी होगी. किसानों को फसल से ज्यादा फलदार पौधे लगाने होंगे. जैसे आंवला, कश्मीरी बेर, संतरा का पौधा लगाकर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.