झारखंड में मनरेगा की स्थिति: काम की मांग में 8 फीसदी की गिरावट, 39 लाख मजदूरों को नहीं मिल रही मजदूरी

Ranchi: झारखंड में मनरेगा के तहत काम मांगने वालों की संख्या में इस बार 8% की कमी आई है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य में कुल 10.09 करोड़ कार्यदिवस का काम मिला, जो पिछले वर्ष की तुलना में कम है. इसकी एक बड़ी वजह आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के लिए अयोग्यता है, जिसके कारण 39 लाख मजदूरों को काम करने के बावजूद मजदूरी नहीं मिल पा रही है. इसका खुलासा लिबटेक इंडिया नरेगा संघर्ष मोर्चा के द मिसिंग वर्कः ए नेशनल रिव्यू ऑफ मनरेगा इंप्लीमेनटेंशन(2024-25) के सर्वे में हुआ है. इसे भी पढ़ें -BREAKING">https://lagatar.in/breaking-vinay-chaubey-gajendra-singh-sent-to-judicial-custody-till-june-3/">BREAKING

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मजदूरी न मिलने के कारण
- तकनीकी जानकारी की कमी - आधार लिंक न होना - बैंक से जुड़ी दिक्कतें
मनरेगा मजदूरी और कृषि मजदूरी में अंतर
मनरेगा की मजदूरी भी कृषि मजदूरी से कम है. राज्य में मनरेगा मजदूरी 282 रुपये प्रतिदिन है, जबकि खेती में काम करने वालों को 289 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं. इससे मजदूरों का मनरेगा में काम करने का उत्साह कम हो रहा है.
अन्य राज्यों की स्थिति
झारखंड के अलावा महाराष्ट्र और गुजरात में भी एबीपीएस के लिए अयोग्यता की समस्या है. महाराष्ट्र में 63.44% और गुजरात में 58.10% मजदूर एबीपीएस के लिए अयोग्य हैं.
बजट में कटौती की मार
बजट में कटौती और पैसों की कमी भी मनरेगा की कमजोर स्थिति के पीछे बड़ी वजह है. इससे मजदूरों को समय पर मजदूरी नहीं मिल पा रही है और वे परेशान हो रहे हैं. इसे भी पढ़ें - रांची">https://lagatar.in/peoples-problems-were-heard-in-every-area-of-ranchi-and-solutions-were-found-on-the-spot/">रांची

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