Ranchi : झारखंड में कार्यरत सहायक पुलिसकर्मियों के लिए एक अच्छी खबर है. राज्य सरकार उग्रवाद प्रभावित 12 जिलों में उनकी अनुबंध अवधि को एक साल के लिए और बढ़ाने जा रही है.
वर्तमान में इन सहायक पुलिसकर्मियों का अनुबंध 8 से 30 अगस्त 2025 के बीच समाप्त हो रहा है. गृह विभाग ने इस विस्तार का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जो पुलिस बल की कमी और राज्य की सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम है.
नियमित पुलिसकर्मियों की बहाली प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पायी है:
सरकार फिलहाल इन सहायक पुलिसकर्मियों को सेवा से हटाना नहीं चाहती. इसका मुख्य कारण यह है कि नियमित पुलिसकर्मियों की बहाली प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पायी है. ऐसे में, एक साथ इतनी बड़ी संख्या में सहायक पुलिसकर्मियों को हटाने से उग्रवाद प्रभावित जिलों में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है और सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
सहायक पुलिसकर्मियों की संख्या में कमी
झारखंड सरकार ने 2017-18 में उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 2400 सहायक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की थी. इनका मुख्य उद्देश्य स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें सुरक्षा व्यवस्था में शामिल करना था. पिछले कुछ सालों में इनकी अनुबंध अवधि बढ़ाई जाती रही है,
लेकिन कुछ सहायक पुलिसकर्मियों द्वारा सेवा छोड़ने और अनुबंध की समय सीमा पूरी होने के कारण इनकी संख्या अब घटकर लगभग 1700 रह गयी है.
वर्तमान में इन सहायक पुलिसकर्मियों को 10,000 से 12,000 रुपये के बीच मानदेय मिलता है. संगठन का तर्क है कि बढ़ती महंगाई और उनकी जोखिम भरी ड्यूटी को देखते हुए यह मानदेय अपर्याप्त है.