शराब घोटाले को अंजाम देने की पृष्ठभूमि पहले ही तैयार कर ली गयी थी

Shakeel Akhter Ranchi: नयी उत्पाद नीति के सहारे शराब घोटाले का अंजाम देने की पृष्ठभूमि पहले ही तैयार कर ली गयी थी. इस बात की पुष्टि के लिए दो महत्वपूर्ण कारण बताये जा रहे हैं. पहला कारण नियम में छूट देकर छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) को कंसल्टेंट बनाना और दूसरा कारण किसी भी गड़बड़ी के लिए शराब दुकानों में काम करने वाले कर्मचारियों को ही दंडित करने का नियम बनाना है. राज्य में लागू वित्तीय नियमावली में सलाहकार की नियुक्ति टेंडर के सहारे करने का प्रावधान है. लेकिन CSMCL को कंसल्टेंट बनाने के लिए इस नियम में छूट दी गयी. CSMCL को टेंडर के बदले मनोनयन के आधार पर कंसल्टेंट नियुक्त किया गया. इसके बाद उसे किसी भी आपराधिक या गड़बड़ी में दोषी नहीं मानने के लिए नियम बनाया गया. इसके लिए सबसे पहले उत्पाद अधिनियम में संशोधन कर उसे लागू करने की कोशिश की गयी. लेकिन इसमें नाकाम होने पर इससे संबंधित नियम बनाया गया. राज्य में लागू उत्पाद अधिनियम में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर अधिकारियों को दंडित करने का प्रावधान है. उत्पाद विभाग ने पहले इस अधिनियम को संशोधित कर इसमें ऐसा प्रावधान जोड़ने की कोशिश की जिससे अफसरों के खिलाफ किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं हो सके. इसके लिए झारखंड उत्पाद संशोधन विधेयक 2022 विधानसभा मे पेश किया गया.  विधानसभा से विधेयक के पारित होने के बाद उसे राज्यपाल की सहमति के लिए भेजा गया. लेकिन राज्यपाल ने इस विधेयक पर सहमति नहीं दी. राज्यपाल की ओर से विधेयक को आपत्तियों के साथ लौटा दिया गया.  राज्यपाल सचिवालय ने इस विधेयक की समीक्षा की. इसमें यह पाया कि सरकार द्वारा शराब की बिक्री झारखंड बिवरेज कॉरपोरेशन के माध्यम से की जाती है. शराब की बिक्री में एजेंसियों का सहारा लिया जाता है. अधिनियम में किये गये संशोधन मे किसी तरह की गड़बड़ी या असंवैधानिक काम के लिए सिर्फ स्थानीय कर्मचारियों को ही जवाबदेह माना जा रहा है. जबकि किसी गड़बड़ी या असंवैधानिक कार्य के लिए निगम और एजेंसी को जवाबदेह माना जाना चाहिए. लेकिन संशोधन से सिर्फ स्थानीय कर्मचारियों को ही जवाबदह माना जायेगा. इसे निगम के पदाधिकारियों और एजेंसियों के उच्च अधिकारियों को आपराधिक या असंवैधिक कार्यों से संरक्षण देने के रूप मे देखा जा सकता है.  संशोधन विधेयक की धारा 57 में किये गये दंड के प्रावधान से निगम के पदाधिकारियों को अलग रखा गया है. राज्यपाल सचिवालय द्वारा आपत्तियों के साथ विधेयक लौटाये जाने के बाद इसे लागू करने के लिए गजट जारी करना संभव नहीं हो सका. इसके बाद इससे संबंधित नियम बनाया गया. इसके लिए CSMCL को कंसल्टेंट बनाने के लिए तैयार किये गये प्रस्ताव में कुछ शर्ते जोड़ी गयी. इसमें पहली शर्त यह यह जोड़ी गयी कि किसी भी तरह की गड़बड़ी के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग को जवाबदेह नहीं माना जायेगा.