सारंडा के कंजर्वेशन रिजर्व के दायरे में माइनिंग क्षेत्र को शामिल करने से राज्य को होगा बड़ा आर्थिक नुकसान

Ranchi: राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर 57519.41 हेक्टेयर वन को सेंक्चुरी और 13.06 किलोमीटर को कंजर्वेशन रिजर्व बनाने का वादा किया है. रिजर्व के दायरे में माइनिंग क्षेत्र के हिस्से को भी शामिल किया गया है. इससे राज्य को आर्थिक नुकसान होने के अलावा आयरन ओर पर आधारित उद्योगों के प्रभावित होने की आशंका है. टीएन गोदावर्मन बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को सारंडा वन क्षेत्र में Saranda Wildlife Sanctuary (SWL) and Sasangdaburu Conservation Reserve (SCR) घोषित करने का निर्देश दिया था. इस निर्देश के अनुपालन में देर होने की वजह से वन पर्यावरण सचिव अबु बकर सिद्दिकी ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी. साथ ही एक शपथ पत्र भी दायर किया. इसमें उल्लेख किया गया कि सरकार ने मूल क्षेत्र से अधिक को वाइल्ड लाइफ सेंकुचरी घोषित करने का प्रस्ताव तैयार किया है. 
मूल प्रस्ताव में सारंडा के 31468.25 हेक्टेयर क्षेत्र को वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी घोषित करने प्रस्ताव था. हालांकि सरकार ने 57519.41 हेक्टेयर को वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी और 13.06 किलोमीटर को ससांगदाबुरू कंजर्वेशन रिजर्व घोषित करने का प्रस्ताव तैयार कर वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया(देहरादून) के पास भेज दिया. इसकी सहमति मिलने के बाद सरकार आवश्यक प्रक्रिया पूरा कर इससे संबंधित अधिसूचना जारी करेगी. 
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की ओर से दायर इस शपथ पत्र को स्वीकार करते हुए इसे पूरा करने के लिए दो महीने का समय दिया है. साथ ही इस मामले मे झारखंड सरकार की ओर से की गयी कार्रवाई पर सुनवाई के लिए 23 जुलाई 2025 की तिथि निर्धारित की है. राज्य सरकार द्वारा कंजर्वेशन रिजर्व के लिए तैयार किये मैप में माइनिंग जोन का कुछ हिस्सा भी शामिल है. मैप के अनुसार माइनिंग जोन का क्षेत्र कुमदी, Tk-47,KP-29,KP-13 और KP-3 कंजर्वेशन रिजर्व में है. माइनिंग जोन के इस हिस्से के कंजर्वेशन रिजर्व के क्षेत्र में शामिल होने की वजह से इन क्षेत्रों में माइनिंग प्रतिबंधित हो जायेगा. इससे इन क्षेत्रों में पहले चल रहे आयरन ओर का खदान बंद कर दिया जायेगा.  बताया जाता है कि इससे स्टील ऑथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड(SAIL) धोबिल और मेघाहातुबुरु खदान प्रभावित होगा. इसके अलावा घाटकुरी माइंस के भी प्रभावित होने की आशंका जतायी जा रही है. 
कंजर्वेशन रिजर्व के क्षेत्र में माइनिंग जोन के कुछ हिस्से को शामिल किये जाने की वजह से राज्य को बड़ा आर्थिक नुकसान होगा. साथ ही आयरन ओर से संबंधित आधारित छोटे उद्योग संकट में आ जाएंगे. खास कर जमशेदपुर और सरायकेला जिला में स्थित आयरन ओर से जुड़े लौह उद्योगों व कंपनियों पर बंद होने का खतरा मंडराने लगेगा. करीब 5000 कंपनियों पर असर पड़ेगा और हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे.
कंजर्वेशन रिजर्व में माइनिंग क्षेत्र को शामिल होने की वजह से राज्य में आयरन ओर का उत्पादन प्रभावित होगा, इससे आयरन ओर पर आधारित उद्योगों को पड़ोसी राज्य ओडिशा पर भी निर्भर रहना पड़ेगा.  ओडिशा सरकार ने केंद्रीय वन मंत्रालय और सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष पेश कर अपने माइनिंग जोन को सेंक्चुरी के दायरे से बाहर निकलवाने में कामयाबी हासिल कर ली है. लेकिन झारखंड ऐसा करने में असफल रहा.