- - आचार संहिता लागू होने से पहले निकाले थे 60-60 करोड़ के चार टेंडर
- - संजीव लाल की लॉबी में शामिल थे चुंनिदा अफसर और इंजीनियर
- - सुबह से सचिवालय में होती रही चर्चा, अफसर भी लेते रहे फीड बैक
आईएएस ने सवाल उठाया, तो हो गया तबादला
संजीव लाल की कार्यशैली को लेकर एक आईएएस अफसर ने भी सवाल उठाया था. कहा था कि यह काम नियम के विरूद्ध हो रहा है. लेकिन संजीव लाल की ठसक ऐसी थी कि सवाल उठाने वाले आईएएस अधिकारी को ही चलता कर दिया गया. सचिवालय में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि विभाग में जो कुछ होता है, इसकी जनकारी मंत्री को न हो, यह संभव नहीं है.टेंडर मैनेज करने में माहिर हैं संजीव लाल
संजीव लाल को टेंडर मैनेज करने में भी माहिर माना जाता है. विभाग के लोग बताते हैं कि ग्रामीण विकास, आरईओ, स्पेशल डिविजन के टेंडर को मैनेज करने का काम बखूबी करता था. मामला सिर्फ संजीव लाल तक ही नहीं था. वह सरकार के एक बड़े राजनेता के यहां ये पैसे पहुंचाने का काम भी करते रहे. आरईओ के विभिन्न पैकेज के सभी टेंडर में ठेकेदारों को मैनेज कर, उसका पर्सेंटेज तय करना इनका काम था. विभाग में यह चर्चा आम है कि ट्रांसफर पोस्टिंग से भी बड़े पैमाने पर राशि एकत्र किये जाते थे. राज्य में 263 प्रखंड है इन सभी प्रखंडों में एक से अधिक बार प्रखंड विकास अधिकारियों का ट्रांसफर हुआ है. लोगों को मनचाही पोस्टिंग दिलाने में संजीव लाल की भूमिका अहम होती थी. इसे भी पढ़ें : भ्रष्टाचार">https://lagatar.in/alamgir-alam-is-the-new-face-of-corruption/">भ्रष्टाचारका नया चेहरा आलमगीर आलम! [wpse_comments_template]