आंगनबाड़ी केंद्र की कहानी, ग्रामीण महिलाओं की जुबानी
[caption id="attachment_580621" align="alignleft" width="300"]alt="आंगनबाड़ी केंद्र की कहानी, ग्रामीण महिलाओं की जुबानी" width="300" height="263" /> आंगनबाड़ी केंद्र की कहानी, ग्रामीण महिलाओं की जुबानी[/caption] मंगलवार की पूर्वाह्न करीब 11 बजे आंगनबाड़ी केंद्र में सेविका उपस्थित नहीं थीं. सहायिका खिचड़ी पका रही थी और आधा दर्जन बच्चे आसपास में खेल रहे थे. इस संबंध गीता देवी और एक बच्ची नंदिनी की मां ने बताया कि आंगनबाड़ी में बच्चों से लकड़ियां चुनवा कर मंगवाई जाती है. फिर उन्हीं लकड़ियों से खिचड़ी पकती है. यहां तक कि आंगनबाड़ी केंद्र में न तो पेयजल की सुविधा है और न ही शौचालय है. शौचालय की टंकी के लिए बड़ा गड्ढा मेन गेट के पास करवा दिया गया है. उसमें न तो ढक्कन है और न ही चहारदीवारी है. हजारीबाग-चुरचू मुख्य पथ के किनारे यह केंद्र है. ऐसे में वाहनों की चपेट में आने का बच्चों पर खतरा मंडराता रहता है.
दबंग है सेविका और उनके पति, भय से ग्रामीण रहते हैं खामोश
ग्रामीणों ने दबी जुबां से कहा कि इस आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका और उसके पति दबंग हैं. व्यवस्था से संबंधित कुछ पूछने या समस्या बताने पर वे लोग डांट-फटकार लगाते हैं. गाली-ग्लौज के साथ मारपीट तक की नौबत आ जाती है. ऐसे में ग्रामीण खामोश रहना ही उचित समझते हैं. पदाधिकारियों के पास भी शिकायत ले जाने पर डरते हैं. वैसे यहां कई लोग दलित परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उनमें जागरुकता का भी अभाव है. यह भी नहीं जानते कि समस्याएं किसे बताएं.नामांकित बच्चों पर उठाया सवाल
कई ग्रामीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में 23 बच्चे नामांकित दिखाए गए हैं. लेकिन उपस्थिति नगण्य रहती है. आधा दर्जन से अधिक बच्चे नहीं आते. कई ग्रामीण कहते हैं कि यहां अधिकांश बच्चे फर्जी तरीके से नामांकित हैं.गर्भवती महिलाओं को नहीं मिलता कोई लाभ : नागेश्वरी देवी
[caption id="attachment_580619" align="alignleft" width="196"]alt="नागेश्वरी देवी" width="196" height="197" /> नागेश्वरी देवी[/caption] गांव की नागेश्वरी देवी कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं को सरकार की ओर मिलनेवाला कोई लाभ नहीं दिया जाता है. खिचड़ी बनानेवाला बर्तन भी काफी गंदा रहता है. कभी-कभी तो बच्चों को उल्टी तक हो जाती है.