हरमू नदी में दूषित पानी बहने से हजारों छठवर्तियों का हो गया पलायन

Basant Munda Ranchi: लोकआस्था के महापर्व छठ पर्व की शुरुआत हो गयी है, छठ व्रतियों के लिए तालाब, जलाशय और नदी इस समय महत्वपूर्ण होता है. लेकिन साफ-सफाई ना होने की वजह से लोग घर की छतों पर ही छठ करने लगे हैं. रांची की बात करें तो यहां भी कुछ ऐसा ही है. रांची के हरमू नदी की हालत किसी से छुपी नहीं है. करोड़ों खर्च करने के बावजूद हरमू नदी आज भी उसी हालात में है. हरमू नदी में छठ व्रत करने वाले व्रती रांची के बड़ा तालाब,चडरी तालाब,जेल तालाब,धुर्वा डैम समेत अन्य तालाबों में चले गए हैं. हरमू नदी शहर के बीच में स्थित है. आज से 15 साल पहले हरमू नदी का पानी का उपयोग नहाने,धोने पूजा पाठ में लोग उपयोग मे लाते थे.लेकिन आज हरमू नदी में सालों भर दूषित जल बहता रहता है. घर का पानी नदी में छोड़ने से हरमू नदी का रंग पूरी तरह से काला हो गया है. दिनभर दूषित पानी और कचरा वाला पानी बहता है. दूषित पानी बहने से लोग पानी को छूते भी नहीं हैं. निगम की ओर से कई बार कायाकल्प की गयी, लेकिन नतीजा शिफर ही रहा. आज नदी का अस्त्तित्व ही खत्म हो गया है. आसपास रहने वाले लोग भी हरमू नदी की हालत से चिंता में रहते हैं. इसे भी पढ़ें - जीवन">https://lagatar.in/planting-trees-is-very-important-to-save-life/">जीवन

बचाने के लिए पौधरोपण बेहद जरूरीः अशोक कुमार

जानें लोगों ने क्या कहा

https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/11/rajkumar1.jpg"

alt="b xb gv " width="600" height="400" /> हरमू नदी के पड़ोस में रहने वाले राजकुमार राय ने बताया कि 20 साल पहले झरना का पानी हमेशा बहता रहता था. हरमू नदी के नाम से पूरा रांची जानता था.गर्मी के दिन में इस नदी से जानवर अपनी प्यास बुझाते थे. इस नदी में लगभग 15 साल छठ पूजा पाठ किया हूं. लेकिन आज हरमू नदी का अतिक्रमण हो गया है. करोड़ों खर्च करने के बाद भी हरमू नदी का सौंदर्यीकरण नहीं किया जा सका. इस नदी से सैकड़ों घरों का निर्माण किया गया है. निगम के अधिकारी देखने तक नहीं आते हैं. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/11/kunal1.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> स्थानीय निवासी कुणाल किशोर ने बताया कि जब तक सरकार और जनता के बीच समन्वय स्थापित नहीं होता. तब तक नदी को नहीं बचाया जा सकता है. धीर-धीरे हरमू नदी से बदबु आने लगी है. आज नदी का पानी इतना खराब हो गया है कि इसके किनारे बैठना भी पसंद नहीं करते हैं. यह नदी छठ व्रतियों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता था.हजारों लोग हरमू नदी के पानी का उपयोग नहाने और कपड़ा धोने के उपयोग में लाते थे. छठ व्रती और आस्थावान जुटते थे. लेकिन हरमू नदी की बदतर स्थिति के कारण व्रती और आस्थावान दूसरे जलाशय,तालाबों और कृत्रिम जलाशय बनाकर छठ करने के लिए मजबूर हो गए. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/11/sunil-yad.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> हरमू के सुनील यादव ने बताया कि नगर निगम इस नदी को साफ सुथरा करने और पूर्णजीवित करने के लिए अब तक करोड़ों रुपए खर्च कर चुका है. नदी का पानी काफी गंदा हो गया है. लोग यहां के बहते पानी को छूने से भी डरते हैं. नदी में गंदगी का अंबार भरा पड़ा है. नदी में गोबर, प्लास्टिक, कूड़ा-कचरा नजर आने लगा है. नदी में बालू और मिटटी का रंग भी प्रदूषित हो गया है. https://lagatar.in/wp-content/uploads/2024/11/ajay.jpg"

alt="" width="600" height="400" /> स्थानीय अजय कुमार ने बताया कि इस नदी में 1990 तक हरमू नदी का पानी का उपयोग हुआ था. उस समय यहां पर लोगों की जनसंख्या कम थी. छठ पूजा करने के लिए बहते पानी की जलधारा को रोककर पूजा पाठ करते थे. जब से नदी के किनारे पत्थर बिछाना शुरू हुआ. नदी का बचाने के लिए घरो से निकलने वाली पानी को रोकना होगा.कचरा फेंकने के लिए जगह-जगह ड्स्टबीन लगाने की जरूरत है. इसे भी पढ़ें - मोहन">https://lagatar.in/mohan-bhagwat-said-the-world-is-trying-to-suppress-india-but-the-truth-is-not-suppressed/">मोहन

भागवत ने कहा, दुनिया भारत को दबाने का प्रयास कर रही है, लेकिन सत्य नहीं दबता…
[wpse_comments_template]