DC के तीन अहम फैसले, कर्मचारियों को हेल्थ कार्ड,  स्कूलों को फटकार और जनता दरबार में समस्याओं का समाधान

 Ranchi :  रांची के उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री की अगुवाई में  आज तीन अहम फैसले लिये गये. एक ओर जहां सरकारी कर्मचारियों के बीच हेल्थ कार्ड बांटे गये, वहीं आरटीई के तहत बच्चों के एडमिशन में ढिलाई बरतने वाले प्राइवेट स्कूलों को कड़ी फटकार लगाई गयी. साथ ही हर मंगलवार को लगने वाले जनता दरबार में आम लोगों की समस्याएं सुनी गयी. मौके पर समाधान भी निकाले गये,.

 

 कर्मचारियों को मिला हेल्थ कार्ड, अब कैशलेस इलाज होगा 

 

समाहरणालय में मंगलवार को राज्य कर्मी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत हेल्थ कार्ड बांटे गये. उपायुक्त भजन्त्री ने 13 कर्मचारियों को सांकेतिक रूप से कार्ड सौंपे. बताया गया कि अब तक रांची जिले में 75 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के कार्ड बन चुके हैं.

 

इस कार्ड से सरकारी कर्मचारी और उनके परिजन पंजीकृत अस्पतालों में कैशलेस इलाज की सुविधा ले सकेंगे. उपायुक्त ने कहा कि सरकार चाहती है कि कर्मचारियों को इलाज में कोई दिक्कत न हो, इस योजना से उन्हें बड़ा सहारा मिलेगा. 



स्कूलों को चेतावनी: RTE नामांकन में ढिलाई बर्दाश्त नहीं

 


आरटीई (निःशुल्क शिक्षा अधिकार) के तहत गरीब बच्चों के नामांकन में लापरवाही करने वाले स्कूलों पर भी मंगलवार को प्रशासन सख्त दिखा, समाहरणालय में हुई बैठक में उपायुक्त ने कहा कि 672 में से अभी तक सिर्फ 493 बच्चों का नामांकन हुआ है. बाकी 116 मामलों को शिक्षा एडमिन को दोबारा भेजा गया है. स्कूलों को सख्त निर्देश दिया गया है कि नामांकन हर हाल में पूरा करें.

 

 

डीपीएस स्कूल को खासतौर पर फटकार लगी,

 

 

डीपीएस स्कूल को खासतौर पर फटकार लगी, क्योंकि उन्होंने 24 बच्चों का नामांकन दस्तावेज के बहाने से रोके रखा. वहीं संत अलोईस, संत अरविंदो, संत कोलंबस, छोटानागपुर पब्लिक स्कूल मुर्ग, जेवियर स्कूल धुर्वा, आरबी स्प्रिंगडेल, आईटीसी स्कूल मुरी, और डॉन बॉस्को स्कूल को भी अनुपस्थित रहने और नामांकन प्रक्रिया में लापरवाही के लिए चेतावनी दी गयी है. उपायुक्त ने साफ कहा कि नामांकन नहीं करने वालों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की जायेगी.

 

 

  जनता दरबार में सीधे अफसरों से मिले लोग, कुछ मामलों का मौके पर हुआ निपटारा

 

 

हर मंगलवार को जिले के सभी प्रखंडों और अंचल कार्यालयों में जनता दरबार लग रहा है. इस बार भी लोग बड़ी संख्या में अपनी शिकायतें लेकर पहुंचे. भूमि विवाद, म्यूटेशन, अतिक्रमण जैसी समस्याएं सामने आयी,  जिनमें से कई मामलों का समाधान मौके पर ही कर दिया गया. अधिकारियों ने जनता से सीधे बातचीत की और जिन मामलों में जांच की ज़रूरत थी, उनके लिए तुरंत एक्शन का भरोसा दिया.