Ranchi : जगन्नाथपुर रथ यात्रा के अवसर पर लगे मेले में इस बार पारंपरिक हथियारों, वाद्य यंत्रों और लोक जीवन से जुड़े उपयोगी सामानों की भारी बिक्री देखने को मिल रही रही है. मेला परिसर में झारखंड के कोने-कोने से आये कारीगर और दुकानदार अपने सामानों को सजा कर बैठे हैं.
तोरपा की कुमनी और तीर-धनुष आकर्षण का केंद्र : तोरपा से आये ग्रामीणों द्वारा बनायी गयी कुमनी की कीमत 200 से 650 रुपये के बीच है. पारंपरिक तीर-धनुष की बिक्री भी अच्छी हो रही है, जिसकी कीमत 350 रुपये है.
बोकारो का मांदर बना लोगों की पसंद : मेले मे बोकारो से लाये गये पारंपरिक संगीत वाद्य यंत्र मांदर 2500 रुपये में बिक रहे है. इसका गूंजता स्वर लोगों को अपनी संस्कृति की याद दिला रहा है.
घाटशिला के तीर धनुष की भारी मांग : घाटशिला से लाये गये लकड़ी और बांस से बने तीर-धनुष की कीमत 350 रुपये प्रति सेट है. बड़े आकार का तीर-धनुष 850 रुपये तक में बिक रहा है.
मांडर की राजपति देवी बेच रही हुक्का और डिबरी : मांडर से आयी राजपति देवी ने बताया कि वे चार हुक्का लेकर आयी थीं, जिनमें से एक बिक चुका है.एक हुक्के की कीमत 800 रुपये हैं. सिल्वर कलर की डिबरी 600 रुपये में उपलब्ध है, जो ग्रामीण घरों में आज भी उपयोग में लायी जाती है.
कांके का नगाड़ा और ढोल : चदरिया कपड़े से बना कांके का नगाड़ा और 3500 रुपये की कीमत वाला पारंपरिक ढोल लोगों को अपनी ओर खींच रहा है.
मछली पकड़ने का जाल आकर्षण का केंद्र : मछली पकड़ने का 5 फीट का जाल 600 रुपये में बिक रहा है. 6 फीट का जाल 1400 रुपये में उपलब्ध है. बंगाल से लाया गया 15 फीट का मछली पकड़ने वाला जाल भी लोगों के आकर्षण का केंद्र है.
लोक संस्कृति के साथ व्यापार का संगम : रथ मेले में केवल श्रद्धा ही नहीं, लोक शिल्प, पारंपरिक जीवनशैली और आदिवासी कला की झलक भी देखने को मिल रही है. लोग इन चीज़ों को खरीद कर अपनी संस्कृति से जुड़ाव महसूस कर रहे हैं.