रैंप निर्माण से आहत आदिवासी धार्मिक अगुवा पाहनों ने 5 मई को बुलाई बैठक

Ranchi:  सरहुल शोभायात्रा पाहन संघ के बैनर तले शनिवार को रांची के मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका के सामने सैकड़ों पाहनों ने संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया.इस दौरान पाहनों ने कहा कि सिरमटोली स्थित सरना स्थल के सामने बनाए जा रहे फ्लाईओवर रैम्प के विरोध में वे पिछले चार महीनों से आंदोलनरत हैं. इसके बावजूद प्रशासन और सरकार ने आदिवासी समाज की मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है. इसी विरोध के क्रम में 5 मई को नगाड़ा टोली स्थित सरना भवन में एक अहम बैठक बुलाई गई है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी. किशुनपुर मौजा के सुरेंद्र पाहन ने कहा, "सुशासन की बात करने वाली सरकार आज आदिवासी समाज के विश्वास को कुचल रही है. सिरमटोली का सरना स्थल न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और परंपरा की पहचान भी है, जिसे देश-विदेश में आदरपूर्वक देखा जाता है. लेकिन मुख्य द्वार के सामने बनाए जा रहे रैम्प से इस स्थल का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. बूटी मौजा के राम पाहन ने तीखे स्वर में कहा कि अगर यह स्थान मंदिर, मस्जिद या गिरजाघर होता, तो क्या सरकार ऐसे ही कार्य करती? यह सरना स्थल है, जिसे आदिवासी समाज पवित्र मानता है, लेकिन सरकार हमें आंदोलन करने के लिए मजबूर कर रही है. विभिन्न मौजाओं के पाहनों और सामाजिक अगुवाओं ने चेताया है कि यदि ऐसे ही हालात बने रहे तो आने वाले वर्षों में आदिवासी संस्कृति और पहचान दोनों ही खत्म हो सकती हैं. उनका कहना है कि 1965 से चली आ रही यह धार्मिक परंपरा आज तथाकथित विकास के नाम पर कुचली जा रही है. जिस सरकार को "अबुआ सरकार" (अपनी सरकार) कहकर वोट दिया गया, वही अब मौन साधे बैठी है.   सम्मेलन में उपस्थित प्रमुख पाहन : जुरा पाहन (खरसीदाग), पीटर पाहन (पहाड़ी टोली), लक्ष्मण पाहन (सोनाहातु), रामनाथ पाहन (बुडू), डिवा उरांव (मधुकम), सोनू पाहन (भिठ्ठा), बिशेश्वर पाहन समेत कई अन्य पाहन उपस्थित थे.