आदिवासी ही हैं इस देश के मूलनिवासी, जंगल ही इनका आश्रय
इस मौके पर पीसी मुर्मू और एलएनल उरांव ने कहा कि सच है कि आदिवासी इस देश के मूलनिवासी हैं. आदिवासियों के आने के बाद हजारों साल बाद आर्य आए हैं. यह आदिवासी जंगलों और पहाड़ी इलाकों में रह रहे थे. उनका भोजन जंगली जानवर थे, जिनका वे एक ही स्थान पर शिकार किया करते थे. वे पत्तों और गुफाओं से बने घर में निवास कर रहे थे. वे भारत में आर्य के आगमन से हजारों साल पहले बहुत शांति से रह रहे थे. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि आदिवासी भारत के "मूल निवासी" हैं. उनकी जीवन शैली अन्य समुदायों से आज तक अलग है. बिहार, हजारीबाग गजट 1956 में उल्लेख किया गया है कि मारंग बुरु / पारसनाथ संताल समुदाय का पवित्र स्थान है. आदिवासी लोग प्रकृति की पूजा कर रहे हैं, जैसे पेड़-नदियां, जंगल, चट्टानें, झरने, सूरज आदि. मारांग बुरु जिसे अब पारसनाथ पहाड़ी कहा जाता है. आदिवासी संताल समुदाय का सबसे पुराना पूजा स्थल है, जिसे पहाड़ियों की चोटी पर जुग जहर कहा जाता है. संथाल अपने जाहेर आयो, मारंगबुरु, मोरेको-तुर्युको, समुदाय के पूर्वज और अन्य भगवान की पूजा कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के एक सहायक/साक्ष्य दस्तावेज हैं. जिसमें घोषित किया गया है कि मारंग बुरु/पारसनाथ आदिवासी संताल समुदाय का एक पवित्र/पूजा स्थल है. हर साल फागुन मास के पहले दिन हजारों आदिवासी लोग पूजा करते हैं. जहां बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, भारत और अन्य देशों के संथाल लोग उसी के लिए पूजा करने आते हैं. इसलिए यह आदिवासियों का पवित्र स्थल है. इसे भी पढ़ें : TPC">https://lagatar.in/police-encounter-with-tpc-regional-commander-assav-ganjhu-squad-militants-gathered-to-carry-out-major-incident/">TPCरिजनल कमांडर आक्रमण गंझू दस्ते के साथ पुलिस की मुठभेड़, बड़ी घटना को अंजाम देने जुटे थे उग्रवादी [wpse_comments_template]