: किस सत्ताधीश की पैरवी पर टाइपिस्ट को बनाया जा रहा क्लर्क? पूछ रहे कर्मचारी
कॉन्ट्रैक्ट पर होने के कारण ही मिली थी नियुक्ति में प्राथमिकता
TVNL के शीर्ष प्रबंधन ने संवर्ग बदलने के लिए कमेटी बनाते वक्त इतनी सी बात पर गौर नहीं किया कि श्रुति स्नेहा को कॉन्ट्रैक्ट से स्थायी नहीं किया जाना है. बल्कि उसने TVNL के विज्ञापन के आलोक में आवेदन देकर और लिखित परीक्षा और कंप्यूटर टाइपिंग का स्किल टेस्ट देकर यह नौकरी पायी है. उसकी नियुक्ति कंप्यूटर टाइपिस्ट-2 के पद पर योगदान के दिन से मानी जायेगी. उसने कॉन्ट्रैक्ट से या कैजुअल के रूप में कितने दिन काम किया, यह मायने नहीं रखता. बल्कि श्रुति को नियुक्ति में भी TVNL में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने का फायदा मिल चुका है. TVNL द्वारा निकाले गये विज्ञापन में इस बात का जिक्र था कि इनमें तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (TTPS) के विस्थापितों में TVNL में कार्यरत लोगों को प्राथमिकता दी जायेगी. इसी आधार पर श्रुति स्नेहा और कई अन्य लोग जो पूर्व से वहां कार्यरत थे. कंप्यूटर ऑपरेटर-2, कंप्यूटर ऑपरेटर-1 और निम्नवर्गीय सहायक के पद पर चयनित होकर नियुक्त हुए. इसे भी पढ़ें -मेहरबानी">https://lagatar.in/typist-madam-did-not-like-designation-so-the-tvnl-management-started-to-change-the-cadre/8894/">मेहरबानी– टाइपिस्ट मैडम को पदनाम पसंद नहीं आया, तो कैडर ही बदलने में जुट गया TVNL प्रबंधन
झारखंड सरकार के स्वामित्ववाली कंपनी है TVNL
सवाल यह खड़ा होता है कि कैजुअल के रूप में काम करने का फायदा कोई कर्मचारी कितनी बार उठायेगा. जब कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने के आधार पर श्रुति स्नेहा ने टाइपिस्ट-2 के पद के लिए आवेदन दिया और उसमें उसे प्राथमिकता मिल चुकी है. तो फिर उसके द्वारा कैडर बदलने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने को कैसे आधार बनाया जा रहा है. TVNL प्रबंधन उसे मान्यता किस आधार पर दे रहा है, यह भी जांच का विषय है. कर्मचारियों में रोष इस बात को लेकर है कि अगर कैडर बदलना ही था, तो अन्य कर्मचारियों से भी च्वाइस पूछी जानी चाहिए थी, जो कि नहीं किया गया. उनका कहना है कि TVNL झारखंड सरकार की कंपनी है, कोई निजी कंपनी नहीं कि मालिक अपनी मर्जी चलाये. यह कंपनी सरकार के ऊर्जा विभाग के अंतर्गत है और इसपर सरकार के नियम, परिनियम, आदेश और सर्कुलर लागू होते हैं. निगम द्वारा समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर सरकार के विभागों से राय ली जाती है, तो इस मुद्दे पर सरकार के कार्मिक विभाग की राय क्यों नहीं ली गयी. इसे भी पढ़ें - अस्पताल">https://lagatar.in/the-way-to-the-hospital-is-sick-people-are-stuck-in-jam-for-hours-going-to-rims/9281/">अस्पतालका रास्ता ही बीमार, रिम्स जाने में घंटों जाम में फंस रहे हैं लोग