वीर बुधु भगत के नाम पर विवि, छात्रों ने जताया सरकार का आभार

Ranchi : झारखंड की अस्मिता और गौरव के प्रतीक वीर बुधु भगत के नाम पर राज्य सरकार श्यामा द्वारा डॉ. प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर वीर बुधु भगत विश्वविद्यालय  रखने के फैसले से राज्यभर में उत्साह की लहर है. मंगलवार को आदिवासी छात्र संघ के छात्रों ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में एकत्र होकर इस निर्णय पर आभार व्यक्त किया. इसके बाद, एक आभार यात्रा गाजे-बाजे के साथ पैदल शुरू हुई, जो मार्च रेडियम रोड, कचहरी होते हुए अलबर्ट एक्का चौक पहुंची. यहां पर यह यात्रा सभा में तब्दील हो गई. इस अवसर पर छात्रों ने कहा कि यह पहला मौका है जब राज्य सरकार ने किसी महापुरुष के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम रखा है.   आदिवासी छात्र संघ की अध्यक्ष दीपिका कच्छप ने कहा कि वीर बुधु भगत के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है. वे 1831-32 के कोल विद्रोह के नायक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया. छोटानागपुर की मिट्टी से जन्मे इस महान नेता ने आदिवासी समाज को एकजुट कर अंग्रेजों और जमींदारों के अत्याचारों के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका था.   वीर बुधु भगत का जीवन और संघर्ष : वीर बुधु भगत का जन्म 17 फरवरी 1792 को रांची जिले के सिलागई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. उन्होंने मुंडा, उरांव, भूमिज और हो आदिवासियों को संगठित कर कोल विद्रोह का नेतृत्व किया. उनके बढ़ते प्रभाव से घबराकर अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ने के लिए 1000 रुपये का इनाम घोषित किया था. 13 फरवरी 1832 को जब ब्रिटिश सेना ने सिलागई गांव पर हमला किया, तो बुधु भगत के अनुयायियों ने धनुष-बाण, तलवार और कुल्हाड़ियों से अंग्रेजों को कड़ी टक्कर दी. झारखंड सरकार के इस निर्णय को राज्य के आदिवासी समुदाय ने अपनी संस्कृति और इतिहास को सम्मान देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है. अब यह विश्वविद्यालय न सिर्फ शिक्षा का केंद्र बनेगा, बल्कि वीर बुधु भगत के बलिदान और आदिवासी संघर्ष की प्रेरणास्रोत भी बनेगा. इसे भी पढ़े-भाजपा">https://lagatar.in/congresss-counter-attack-on-bjps-allegations-clarify-intentions-on-sarna-dharma-code/">भाजपा

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