अमेरिका ने 2019 के चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब, ट्विटर का इस्तेमाल किया,दुबे ने दावा किया था कि USAID द्वारा वित्तपोषित संगठनों ने सरकार की अग्निवीर पहल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जाति जनगणना का समर्थन किया NewDelhi/Washington : अमेरिका भारत-बांग्लादेश समेत दुनिया के कई देशों की अंदरुनी राजनीति में दखल देता रहा है. अमेरिकी फॉरेन पॉलिसी के अंदर मौजूद एजेंसियों (USAID, थिंक टैंक सहित दिग्गज टेक कंपनियां) ने भारत के आम चुनाव(2019 ) को प्रभावित करने के लिए ऑनलाइन चर्चाओं को मोड़ने की कोशिश की. बता दें कि अमेरिकी विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी माइक बेंज ने यह कहकर सनसनी फैला दी है. माइक बेंज के अनुसार एजेंसियों मकसद प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के हितों के खिलाफ काम करना था. ये संस्थाएं लोगों में यह बात फैला रही थीं कि मोदी की राजनीतिक कामयाबी काफी हद तक गलतबयानी और गलत सूचना का परिणाम थी. इसी संदर्भ में व्यापक सेंसरशिप का आधार तैयार कर नैरेटिव तैयार किया गया.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में उठाया था मुद्दा
भाजपा के गोड्डा(झारखंड) सांसद निशिकांत दुबे ने USAID की फंडिंग का मुद्दा संसद में उठाया था. सोमवार को उन्होंने लोकसभा में मुद्दा उठाते हुए सरकार से मांग की थी कि भारत में उन संगठनों की जांच की जाये जिसे USAID से पैसे मिलते हैं. श्री दुबे ने आरोप लगाया था कि ऐसे अधिकांश संगठन देश में अशांति पैदा करने का काम करते हैं और इनका कांग्रेस पार्टी से संबंध है. लोकसभा में शून्यकाल के दौरान मुद्दा उठाते हुए दुबे ने दावा किया था कि USAID द्वारा वित्तपोषित संगठनों ने सरकार की अग्निवीर पहल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जाति जनगणना का समर्थन किया और देश में नक्सलवाद का समर्थन किया.
मीडिया इन्फ्लूएंस, सोशल मीडिया सेंसरशिप और विपक्ष के अभियानों को फंडिंग की गयी
माइक बेंज ने दावा किया है कि भारत-बांग्लादेश के आंतरिक मुद्दों में दखल देने के लिए कई साधनों का इस्तेमाल किया गया. इस क्रम में मीडिया इन्फ्लूएंस, सोशल मीडिया सेंसरशिप और विपक्ष के अभियानों को फंडिंग की गयी. बेंज ने कहा कि अमेरिका समर्थित एजेंसियों ने चुनावों को प्रभावित करने, सरकारों को अस्थिर करने और विदेशी प्रशासनों को वाशिंगटन के रणनीतिक हितों के साथ जोड़ने के लिए डेमोक्रेसी को ढाल के रूप में इस्तेमाल किया. इन संस्थाओं ने चुनाव के नैरेटिव को प्रभावित करने के लिए काम किया.
फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब और ट्विटर को बनाया मोहरा
माइक बेंज ने दावा किया कि भारत में नैरेटिव चेंज के इस खेल में अमेरिकी विदेश विभाग ने फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब और ट्विटर जैसी प्रमुख तकनीकी कंपनियों को भी मोहरा बनाते हुए ढाल के रूप में इस्तेमाल किया. विदेश विभाग ने मोदी समर्थक सामग्री को रोकने के लिए फ़ेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब और ट्विटर जैसी प्रमुख तकनीकी कंपनियों पर प्रभाव डाला. USAID को लेकर आरोप लगाया कि अमेरिकी सरकार की इस एजेंसी ने काउंटर मिस इनफॉर्मेशन प्रोग्राम की फंडिंग की. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार फंडिग भाजपा के राष्ट्रवादी अभियानों को दबाने के लिए शुरू किये गये थे.
बांग्लादेश में अमेरिकी हस्तक्षेप
बेंज के अनुसार, अमेरिका ने बांग्लादेश की राजनीति में भी खासकर प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को कमजोर करने के लिए. हस्तक्षेप किया, उनका दावा है कि सांस्कृतिक तनावों का उपयोग कर विभाजन पैदा किया गया और रैप संगीत के जरिए सरकार विरोधी भावनाओं को भड़काया गया.
माइक बेंज ने फाउंडेशन फॉर फ्रीडम ऑनलाइन गैर सरकारी संगठन बनाया
माइक बेंज ने नौकरी छोड़ने के बाद गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फॉर फ्रीडम ऑनलाइन नामक संगठन बनाया है. उसका संगठन डिजिटल सेंसरशिप और मीडिया नैरेटिव का अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करता है. खबर है कि माइक बेंज लीक हुए दस्तावेजों और अंदरूनी जानकारी पर भी रिपोर्ट तैयार करते हैं. उनके खुलासों ने उन्हें एक व्हिसलब्लोअर के रूप में स्थापित किया है. अपनी रिपोर्ट के आधार पर वे साबित करने में जुटे हैं हैं कि कैसे USAID और इसी तरह की संस्थाएं कथित रूप से दुनिया भर में गुप्त रूप से अपना एजेंडा चलाती हैं
यूएसएड (USAID)जॉन एफ कैनेडी के कार्यकाल में हुई
यूएसएड (United States Agency for International Development) यानी संयुक्त राज्य अंतर्राष्ट्रीय विकास एजेंसी अमेरिकी सरकार की एक स्वतंत्र संस्था है जो विकासशील देशों में आर्थिक, सामाजिक और मानवीय सहायता प्रदान करने का कार्य करती है. इसकी स्थापना 1961 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के कार्यकाल में हुई थी. हालांकि, इस पर राजनीतिक हस्तक्षेप और अमेरिकी विदेश नीति को लागू करने के आरोप भी लगते रहे हैं.
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