उत्तराखंड  हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा- क्या संभव है डिजिटल रैली, ऑनलाइन मतदान

  • इलाहाबाद हाइकोर्ट के बाद उत्तराखंड हाइकोर्ट ने भी उठाये सवाल
Nainital : कोरोना काल में चुनावी रैलियों पर इलाहाबाद हाइकोर्ट के बाद उत्तराखंड हाइकोर्ट ने भी सवाल उठा दिये हैं.  उत्तराखंड उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की. हाइकोर्ट ने निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से पूछा है कि क्या आगामी उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में डिजिटल चुनावी रैलियों और ऑनलाइन मतदान का आयोजन करना संभव है. अदालत ने निर्वाचन आयोग को जनहित याचिका पर अगली सुनवाई की तारीख 12 जनवरी से पहले जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

याचिका में चुनाव स्थगित करने का अनुरोध

बुधवार को उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से जानना चाहा कि क्या डिजिटल तरीके से चुनावी रैलियां करना संभव है. साथ ही अदालत ने यह भी पूछा कि क्या मतदान की ऑनलाइन पद्धति को भी उपलब्ध करा पाना संभव होगा. जनहित याचिका में दावा किया गया है कि उत्तराखंड में चुनावी रैलियां हो रही हैं, हालांकि इन रैलियों का विकल्प खोजने या जरूरत पड़ने पर उन पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित एक आवेदन अदालत के समक्ष लंबित है. याचिका में चुनाव स्थगित करने का अनुरोध किया गया है, जबकि उच्च न्यायालय ने निर्वाचन आयोग से डिजिटल रैलियों जैसे वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचने के लिए कहा है.

कोरोना के चलते रैलियां खतरनाक हो सकती हैं

याचिकाकर्ता के वकील शिव भट्ट ने हाल में देहरादून में एक रैली के आयोजन के एक दिन बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की ओर अदालत का ध्यान आकृष्ट किया. भट्ट ने कहा कि रैलियां लोगों के लिए न केवल सिर्फ इसलिए खतरनाक हो सकती हैं कि इनमें बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं, बल्कि इसलिए भी कि कोरोना वायरस का नया स्वरूप ओमीक्रोन वायरस के पूर्व के स्वरूपों की तुलना में बहुत तेजी से फैल सकता है.

हाइकोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है -

  • क्या चुनावी रैलियां ऑनलाइन नहीं हो सकती?
  • क्या वर्चुअल वोटिंग का विकल्प मिल सकता है?
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