केंद्र ने SC से कहा, वक्फ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं, केवल दान का एक रूप है

New Delhi :   केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वक्फ इस्लामी प्रथा का अनिवार्य हिस्सा नहीं है, बल्कि यह दान का एक रूप है, जो अन्य धर्मों में भी मौजूद है. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि वक्फ बोर्ड धर्मनिरपेक्ष कार्य करते हैं और उनका प्रबंधन किसी भी समुदाय के लोग कर सकते हैं. यह मंदिरों से अलग है, जो विशुद्ध रूप से धार्मिक संस्थाएं हैं. https://twitter.com/PTI_News/status/1925085514434265231

वक्फ इस्लाम के लिए अनिवार्य नहीं है सॉलिसिटर जनरल मेहता ने मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ से कहा कि वक्फ एक इस्लामी अवधारणा हो सकती है, लेकिन यह इस्लाम के लिए अनिवार्य नहीं है. यह दान का एक रूप है और दान की अवधारणा हिंदू, सिख, ईसाई सभी धर्मों में है.  मेहता ने इस बात पर भी बल दिया कि वक्फ बोर्डों की भूमिका और कार्य प्रणाली धर्मनिरपेक्ष हैं और उनका संचालन धार्मिक सीमाओं से परे होता है. इसे भी पढ़ें : शराब">https://lagatar.in/the-background-for-carrying-out-the-liquor-scam-was-already-prepared/">शराब

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केंद्र ने वक्फ कानून में संशोधनों का किया बचाव केंद्र ने वक्फ अधिनियम में हाल में किए गए संशोधनों का बचाव करते हुए कहा कि ये बदलाव दशकों पुरानी समस्याओं को हल करने की कोशिश हैं, जिन्हें न तो औपनिवेशिक शासन के दौरान और न ही आज़ादी के बाद की सरकारें सुलझा सकीं. कगा कि हम 1923 से लंबित एक समस्या का समाधान कर रहे हैं. इस पर 36 संयुक्त संसदीय समितियों की बैठकें हुईं और 96 लाख प्रतिक्रियाएं प्राप्त की गईं. इसे भी पढ़ें : अनुराग">https://lagatar.in/anurag-guptas-salary-slip-till-april-30-accountant-general/">अनुराग

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वक्फ-बाय-यूजर मौलिक अधिकार नहीं केंद्र ने वक्फ-बाय-यूजर प्रावधान को हटाने को भी जायज ठहराया, जो बिना किसी वैध दस्तावेज के किसी संपत्ति को केवल धार्मिक उपयोग के आधार पर वक्फ घोषित करने की अनुमति देता था. उन्होंने कहा कि कोई भी सरकारी जमीन पर स्वामित्व का दावा नहीं कर सकता. वक्फ-बाय-यूजर कोई मौलिक अधिकार नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अब केवल पंजीकृत वक्फ दावों और पूर्व-चिह्नित भूमि पर ही विचार किया जाएगा. इसे भी पढ़ें : सीएम">https://lagatar.in/if-cm-is-clean-then-he-should-recommend-cbi-investigation-babulal/">सीएम

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अंतरिम राहत के लिए ठोस मामला करना होगा पेश  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है. मंगलवार की सुनवाई में जब वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें शुरू कीं, तब मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि हर कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है. यदि आप अंतरिम राहत चाहते हैं, तो आपको एक ठोस मामला पेश करना होगा. इसे भी पढ़ें :कांग्रेस">https://lagatar.in/congress-calls-operation-sindoor-delegation-a-pr-stunt-accuses-centre-of-trying-to-divert-attention/">कांग्रेस

ने ऑपरेशन सिंदूर डेलिगेशन को पीआर स्टंट बताया, मोदी पर ध्यान भटकाने का आरोप केंद्र ने सुनवाई के दायरे को सीमित करने का अनुरोध किया केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह इस मामले की सुनवाई को केवल तीन प्रमुख मुद्दों तक सीमित रखे. पहला वक्फ-बाय-यूजर की वैधता, दूसरा  वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और तीसरा सरकारी जमीन की वक्फ के रूप में पहचान.  हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से यह मांग की गयी है कि मामले को व्यापक संवैधानिक दृष्टिकोण से देखा जाए और सभी पहलुओं पर विचार किया जाए. इसे भी पढ़ें : कैश">https://lagatar.in/cash-scandal-sc-rejects-plea-seeking-fir-against-justice-yashwant-verma/">कैश

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