पश्चिम बंगाल : वाम मोर्चा और कांग्रेस का भाजपा के खिलाफ लड़ाई में टीएमसी का साथ देने से इनकार

Kolkata : वाम मोर्चा और कांग्रेस ने भाजपा की सांप्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में टीएमसी का साथ देने का ऑफर ठुकरा दिया है. बता दें कि बुधवार को टीएमसी ने वाम मोर्चा और कांग्रेस से भाजपा को हराने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की थी. अब दोनों दलों ने इस सलाह को सिरे से नकार दिया है. उधर कांग्रेस ने इस सलाह के बाद टीएमसी से कहा कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने के स्थान पर पार्टी (कांग्रेस) में विलय कर ले. इस घटनाक्रम पर राज्य में मजबूती से उभर रही भाजपा का कहना है कि टीएमसी की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखती. इसे भी पढ़ें : भारतीय">https://lagatar.in/indian-air-force-will-get-83-indigenous-fighter-jet-tejas-cabinet-seal-on-48-thousand-crore-deal/17689/">भारतीय

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  पश्चिम बंगाल में ममता धर्मनिरपेक्ष राजनीति  का असली चेहरा

टीएमसी के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने कहा, अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में भाजपा के खिलाफ है तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए. उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ही भाजपा के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं. इसे भी पढ़ें : किसानों">https://lagatar.in/farmers-celebrate-lohri-festival-by-burning-copies-of-agricultural-laws-appeal-for-preparation-of-republic-day-tractor-parade/17670/">किसानों

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अधीर रंजन ने कहा, ममता कांग्रेस में शामिल हो जाये

टीएमसी के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा, हमें टीएसी के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है. पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद टीएमसी को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है. अगर ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ने की इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है.

बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में टीएमसी की स्थापना की थी

बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में टीएमसी की स्थापना की थी. सीपीएम के वरिष्ठ नेता सुजान चक्रवर्ती ने आश्चर्य जताया कि टीएमसी वाम मोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार देने के बाद उनके साथ गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है. सुजान चक्रवर्ती ने कहा, यह दिखाता है कि वाम मोर्चा अभी भी महत्वपूर्ण है. वाम मोर्चा और कांग्रेस विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों को हरायेंगे. इसे भी पढ़ें :  टीएमसी">https://lagatar.in/tmc-appeals-to-congress-left-parties-join-mamata-against-bjps-divisive-politics/17656/">टीएमसी

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दिलीप घोष ने कहा, भाजपा ही टीएमसी का एकमात्र विकल्प

इस घटनाक्रम पर पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य दिलीप घोष ने कहा कि यह टीएमसी की हताशा को दर्शाता है.  उन्होंने कहा, टीएमसी हमसे अकेले नहीं लड़ सकती हैं, इसलिए वह अन्य दलों से मदद मांग रही है. इससे साबित होता है कि भाजपा ही टीएमसी का एकमात्र विकल्प है. लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस और वाम मोर्चा ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. सीपीएम नीत वाम मोर्चा को लोकसभा चुनाव में कोई सीट नहीं मिली थी, जबकि कांग्रेस को उसकी कुल 42 सीटों में से पश्चिम बंगाल से सिर्फ दो सीटें मिली थीं. वहीं भाजपा को 18 सीटें मिली थीं, जबकि टीएमसी को 22 सीटें मिली थीं.  राज्य में 2016 में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और वाम मोर्चा के गठबंधन को कुल 294 में से 76 सीटें मिली थीं, जबकि टीएमसी को 211 सीटें मिली थीं.