झारखंड हेल्थ डिपार्टमेंट सूचना देने में क्यों कर रहा आनाकानी?

Ranchi: झारखंड में अधिकारी और पदाधिकारी सूचना का अधिकार कानून को कमजोर करने में लगे हुए हैं. शासन-प्रशासन से बेधड़क और बेझिझक सवाल पूछने के अधिकार का राज्य के अधिकारी गला घोंट रहे हैं. सूचना अधिकार कानून के तहत सरकारी दफ्तरों में हजारों आवेदन लंबित पड़े हैं. साल, दो साल बाद भी आवेदक को जवाब नहीं दिया जा रहा है. ज्यादा प्रेशर बनाने पर आवेदक को दूसरी तरफ उलझा दिया जा रहा है. ताजा मामला स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा है. रांची के आरपी शाही ने 31 दिसंबर 2021 को कुछ सामान्य से सवाल के जवाब स्वास्थ्य विभाग से जानना चाहा, लेकिन 4 महीने बाद भी उन नॉर्मल सवालों का जवाब देने में विभाग आनाकानी कर रहा है. इसे भी पढ़ें - शिवसेना">https://lagatar.in/shiv-senas-saamana-wrote-bjps-neo-hindutva-supporters-are-creating-pre-partition-situation-in-the-country/">शिवसेना

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साधारण सवालों के जवाब भी 4 महीने बाद नहीं मिले

आरपी शाही ने कोई ऐसा गोपनीय सवाल नहीं पूछा था, जिसका जवाब देने में विभाग को इतने दिन लग सकते हैं. उन्होंने बस यही पूछा था कि रांची जिला में कुल कितने कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स हैं. इन सेंटर्स में कितने बेड हैं, डॉक्टर्स, नर्स और पारा मेडिकल स्टॉफ के पोस्ट सेंक्शन हैं और सेंक्शन पोस्ट के विरूद्ध कितने स्टॉफ पोस्टेड हैं. स्वास्थ्य विभाग ने निदेशालय और निदेशालय ने सीएस को फॉरवर्ड किया आवेदन, लेकिन जबाव नहीं मिला आरटीआई के तहत संबंधित विभाग को एक महीने के अंदर आवेदक को सूचना उपलब्ध कराना होता है. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने एक महीने तक आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की. 24 जनवरी 2021 को विभाग के अवर सचिव और जनसूचना पदाधिकारी आनंद कुमार सिन्हा ने यह आवेदन स्वास्थ्य निदेशालय नामकुम को फॉरवर्ड किया. वहां से भी आरपी शाही को उनके सवाल के जवाब नहीं मिले. फिर 1 फरवरी 2022 को स्वास्थ्य निदेशालय ने वह आवेदन सिविल सर्जन कार्यालय को फॉरवर्ड किया और उन्हें सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. लेकिन सिविल सर्जन ऑफिस से भी इसका जवाब नहीं दिया गया. थक हारकर आरपी शाही ने 25 मार्च 2022 को फर्स्ट अपील किया है. उसका भी जवाब अभी तक नहीं मिला है.

सूचना अधिकार कानून का मजाक उड़ाया जा रहा- आरपी शाही

आवेदक का कहना है कि झारखंड में सूचना आयोग में अध्यक्ष और सद्स्यों का पद खाली होने के कारण राज्य में सूचना का अधिकार कानून के तहत सूचनाएं नहीं मिल रही हैं. सरकारी डिपार्टमेंट मनमाने तरीके से आरटीआई के आवेदनों को ट्रीट कर रहा है. उन्होंने कहा कि अपने आवेदन को लेकर वे सिविल सर्जन और स्वास्थ्य निदेशक से भी मिलेंगे, ये लोग सूचना के अधिकार कानून का मजाक उड़ा रहे हैं. इसे भी पढ़ें –अडानी">https://lagatar.in/abu-dhabi-company-to-invest-in-adani-group-companies/">अडानी

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