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कोरोना काल में नहीं डरी सावित्री
alt="" width="300" height="200" /> राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान "रिम्स" में चलने वाले किचन "प्राइम सर्विस" में दर्जनों ऐसी महिलाएं हैं जो हर रोज अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात काम करती है. इन्हीं महिलाओं में से एक है सावित्री. कोरोना काल के दौरान जब सब लोग अपने घरों में थे उस वक्त सावित्री अपने ड्यूटी पर रहती थी. आकस्मिक सेवा के कारण उनकी जिम्मेवारी थी कि वो रिम्स के हर मरीजों तक समय पर खाना पहुंचाए. सावित्री डरी मगर परिवार की जिम्मेवारी ने उन्हें साहस दिया. आज वो अपने परिवार के लिए कुछ पैसे कमाती है और अपने पति का सहयोग करती है. इसे भी पढ़ें -एंटीलिया">https://lagatar.in/antilia-case-ats-changed-the-theory-of-the-police-filed-a-case-of-murder-in-the-case-of-mansukhs-corpse/34959/">एंटीलिया
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खेती-बाड़ी से नहीं भरा पेट तो रिम्स किचन में करने लगी काम
alt="" width="300" height="200" /> कुछ ऐसी ही कहानी है अग्नि की. गांव में रहकर खेती-बाड़ी करती थी. आमदनी उतना नहीं था कि परिवार का अच्छे से भरण-पोषण हो सके. मजबूरन गांव छोड़ना पड़ा और रिम्स के किचन में काम करने लगी. अभी अपनी कंपनी में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलती है. मरीजों के लिए खाना पैक करने से लेकर मरीजों के बेड तक पहुंचाना अग्नि की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है. मजबूती से ट्रॉली को खींचती है और अपने महिला होने का गौरव महसूस करती है. इसे भी पढ़ें -नीता">https://lagatar.in/nita-ambani-launches-her-circle-a-digital-platform-for-women/34949/">नीता
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मरीजों के लिए खाना बनाना देता है सुकून
alt="" width="300" height="200" /> ललिता के पति की मौत हो गई है. परिवार की सारी जिम्मेवारी उसके कंधों पर आ गई. 4 साल से वह रिम्स किचन "प्राइस सर्विस" में काम कर रही है. सुबह 6:00 बजे उठकर घर का काम कर फिर 9:00 बजे ड्यूटी पर पहुंच जाती है. ललिता के दो लड़के और एक लड़की है. कहती है कि काम नहीं करेंगे तो घर कैसे चलेगा. उन्होंने कहा कि मरीजों की सेवा के बाद उसे सुकून मिलता है. इसे भी पढ़ें -चोरी">https://lagatar.in/a-young-man-caught-on-the-charges-of-theft-was-beaten-to-death/34958/">चोरी
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बेटे को IAS बनाने का है सपना: प्रमिला
alt="" width="300" height="200" /> प्रमिला अपने बच्चों के लिए काम करती है. बड़े बेटे को ग्रेजुएशन करवा रही है. घर का काम करने के बाद ड्यूटी पर आ जाती है. उसका सपना है कि उसका बेटा आईएएस बने. तबीयत खराब रहने पर भी वह काम करती है, ताकि बच्चों का भविष्य को संवार सकें. इसे भी पढ़ें -महिला">https://lagatar.in/womens-day-this-is-the-only-thing-that-can-be-done-and-should-be-done-here/34940/">महिला
दिवसः बस यही किया जा सकता है और यहीं किया जाना चाहिये