आदिवासी राजनीतिक समाजिकता के पर्याय हैं धरतीआबा बिरसा मुंडा
Faisal Anurag इतिहास उत्सवों से नहीं बल्कि संकल्पों से संरक्षित और विकसित होता है. त्रासदी यह है कि उत्सव की प्रतिस्पर्धा में मूल सारतत्व को ही नजरअंदाज कर दिया जाता है. आदिवासी महानायकों के साथ भी अक्सर ऐसा ही होता है. धरतीआबा बिरसा मुंडा ने आदिवासी अस्मिता और संस्कृति के बुनियादी तत्वों को लेकर उलगुलान … Continue reading आदिवासी राजनीतिक समाजिकता के पर्याय हैं धरतीआबा बिरसा मुंडा
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