मैं लाश बोल रही हूं…

Krishwar Anjumहर घाट, हर शहर, हर राज्य का यही हाल है. एक के बाद एक आती हुई एम्बुलेंस. और उनसे उतरते पैकेट्स…. पैकेट्स. जिनमें कोई सामान नहीं. इंसान लिपटे हुए हैं. फर्क यही है कि वो अब सामान हो गए हैं. लाशों में बदले जीते जागते इंसान, सामान ही तो हैं. उनको क्या फर्क पड़ता … Continue reading मैं लाश बोल रही हूं…