Nishikant Thakur स्वामी रामकृष्ण परमहंस के अनन्यभक्त स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो (अमेरिका) में आयोजित धर्म संसद में कहा था ….”जो धर्म चिरकाल से जगत के समदर्शन और सर्वाधिक मत–ग्रहण की शिक्षा देता आया है, मैं उसी धर्म में शामिल अपने को गौरवान्वित महसूस करता हूं. हमलोग केवल दूसरे धर्मावलंबी के मतों के प्रति … Continue reading जबरन धर्मांतरण पर रोक जरूरी
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