लोकतंत्र के रोशनदान की तलाश जारी

Prafulla Kolkhyan हिफाजत और हिरासत में क्या फर्क है! हिरासत में हिफाजत करना हिरासत में लेनेवाली शक्ति का दायित्व होता है. व्यक्ति की हिरासती क्षति लोकतंत्र का कलंक होती है. यहां तक तो बात सीधी और सरल है. लेकिन इसे थोड़ा-बहुत हिला-डुलाकर देखना जरूरी है. सवाल यह है कि हिफाजत के नाम पर व्यक्ति कि … Continue reading लोकतंत्र के रोशनदान की तलाश जारी