प्रोटोकॉल तब ही याद क्यों आता है, जब कोई दूसरा कठिन सवाल पूछता है

Faisal Anurag प्रोटोकॉल! यदि इस शब्द को हिंदी के मशहूर उपन्यास रागदरबारी के एक पात्र “छोटे पहलवान” ने सुना होता तो तुरत कहता, बहुत ऊंची बात कह दी श्रीमान जी ने. जब कभी उसे किसी प्रभावशाली व्यक्ति के शब्दों पर भरोसा नहीं होता, तो वह इसी तरह का व्यंग्य बाण चलाया करता. प्रोटोकॉल सिर्फ उस … Continue reading प्रोटोकॉल तब ही याद क्यों आता है, जब कोई दूसरा कठिन सवाल पूछता है