- चुनाव के दौरान नफरती भाषणों का इस्तेमाल भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए किया गया
Surjit Singh
Ranchi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के दौरान एक साल में चार राज्यों में चुनाव हुए हैं. चार राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में दिये गये नफरती भाषणों मे अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया गया. भाषणों में अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने के लिए घुसपैठिया, बंगलादेशी, रोहिंगिया, आतंकी, लव जेहाद, जेहादी, आरक्षण जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया.
चुनाव के दौरान नफरती भाषणों और इसकी वजह से हुए अपराध का इस्तेमाल भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने के लिए किया गया. एसोसियेशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) की रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव से पहले और चुनाव के बाद तक दिये गए नफरती भाषणों की वजह से अपराध भी हुए. लेकिन चुनाव के बाद इसमें कमी आयी. रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड में नवंबर 2024 में विधनसभा चुनाव हुए. चुनाव के दौरान 35 नफरती भाषण दिये गये. इसमें प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और भाजपा से संबंधित नेता व लोग शामिल रहे. हालांकि झारखंड में इस अवधि में कोई नफरती अपराध नहीं हुआ.
झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान दिये गए 35 नफरती भाषणों में से तीन तो प्रधानमंत्री ने दिये. भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने 14 नफरती भाषण दिये. इसके अलावा भाजपा से संबंधित राजनेताओं ने 18 नफरती भाषण दिये.
मोदी के तीसरे कार्यकाल के एक साल के दौरान ही महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव हुए. महाराष्ट्र में भी नफरती भाषण दिये गए. जिसमें अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाने वाले शब्दों को इस्तेमाल किया गया. इस कारण महाराष्ट्र में चुनाव तक नफरती अपराध में वृद्धि दर्ज की गयी. अक्तूबर तक 11 नफरती अपराध हुए. इसमें से दो घटनाओं में बजरंग दल की संलिप्तता पायी गयी.
दिल्ली में फरवरी 2025 में विधानसभा चुनाव हुए. चुनाव के पहले महीने में सात नफरती भाषण दिये गये. सभी नफरती भाषण भाजपा से संबंधित मुख्यमंत्रियों और विधानसभा सदस्यों की तरफ से दिए गए थे. दिल्ली में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद के महीने में तीन नफरती अपराध हुए जो मार्च तक बढ़ कर पांच हो गया. इसके बाद नफरती अपराध में कमी पायी गयी. अप्रैल में सिर्फ दो और मई में एक नफरती अपराध हुए. जून के बाद दिल्ली में कोई नफरती अपराध नहीं हुआ.
उत्तराखंड में जनवरी 2025 में शहरी स्थानीय निकाय के चुनाव हुए. स्थानीय निकाय के चुनाव में भी नफरती भाषण दिये गए. निकाय चुनाव से पहले 16 नफरती भाषण दिये गए. चुनावी महीने में इसमें वृद्धि दर्ज की गयी. हालांकि चुनाव के बाद इसमें धीरे धीरे कमी हुई. चुनाव के बाद दो नफरती अपराध हुए जबकि पहले चार हुए थे.
पहलगाम हमले के बाद मुसलमानों को निशाना बनाकर किये गये नफरती अपराध मे वृद्धि हुई
पहलगाम में आंतकी हमला और भारत-पाकिस्तान के बीच पैदा हुई युद्ध के दौरान सांप्रदायित तनाव बढ़े. इस अवधि में अल्पसंख्यकों को निशाना बना कर नफरती अपराध हुए. इससे 136 अल्पसंख्यक समुदाय के लोग प्रभावित हुए. एक गौरक्षक दल ने 2600 अल्पसंख्यकों की हत्या कर पहलगाम हमले का बदला लेने की चेतावनी दी.
पहलगाम हमले को आधार बना कर अल्पसंख्यकों को इस्लामिक आतंक के रूप में पेश करने की कोशिश की गयी. एसोसियेशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स(APCR) की रिपोर्ट में पहलगाम हमले के बाद हुई नफरती घटनाओं का विश्लेषण के आधर पर इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहलगाम हमले के बाद नफरती अपराध की पहली घटना 23 अप्रैल को दर्ज की गयी. इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति की हत्या कर दी गयी. इसके बाद उत्तर प्रदेश के एक गौरक्षक दल ने पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए 2600 अल्पसंख्यकों की हत्या करने की चेतावनी दी.
पहलगाम हमले के बाद नफरती अपराध की घटनाओं में 23 अप्रैल से छह मई तक वृद्धि हुई. पहलगाम हमले के बाद शुरू हुआ नफरती भाषण जून की पहली तारीख को समाप्त हो गया. पहलगाम हमले के बाद कुल नफरती अपराध की 87 घटनाएं और नफरती भाषण की 20 घटनाएं दर्ज की गयी. नफरती भाषण और अपराध की यह घटनाएं सिर्फ 13 दिनों में दर्ज की गयी. यानी प्रति दिन औसतन कम से कम सात नफरती अपराध की घटनाएं हुईं.