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ओपिनियन

भारत की महिलाओं को जानना चाहिए, कौन है ग्रेटा थनबर्ग

क्या आप अपने परिवार में ऐसी किसी ग्रेटा को बर्दाश्त करेंगे? कर भी लें तो क्या समाज को मंजूर है? ऑफिस, सड़क, मॉल, फैक्ट्री या दुकान में? नहीं. क्योंकि हर जगह वह कब्जा तोड़ना चाहेगी.

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भारतीय TV मीडिया की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और पेशेवर जवाबदेही पर गंभीर सवाल

7 जून को वॉशिंगटन पोस्ट ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें यह उजागर किया गया है कि भारत के प्रमुख न्यूज चैनलों ने 9 मई की रात पाकिस्तान में तख्तापलट और युद्ध जैसी मनगढ़ंत खबरें फैलाईं, जो पूरी तरह झूठी साबित हुईं. रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह व्हाट्सएप संदेशों, अज्ञात सूत्रों और सोशल मीडिया अफवाहों के आधार पर भारतीय मीडिया ने एक काल्पनिक युद्ध का तानाबाना बुना, जिसे न तो सेना ने पुष्टि की और न ही सरकार ने. यह रिपोर्ट भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और पेशेवर जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है. आप भी पढ़ें...

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इतिहास को मरोड़ने से नाकारापन नहीं छिपती

कभी-कभी ऐसा प्रतीत होने लगता है कि हमारा देश संभवत: आदिम युग में पहुंच गया है और चूंकि देश अभी सौ फीसदी शिक्षित नहीं हो पाया है, इसलिए समाज को चाहे जैसे भी हो, इतिहास की अच्छी बुरी बातों से उसे भ्रमित करके रखा जाए. यही बात राजनीतिज्ञों को लाभ पहुंचता है और सही जानने और बताने वाला बगलें झांकने लगता है. आज यह एक आम बात हो गई कि अपनी भाषा प्रवाह में प्रवाहित करके जो समाज का जितना मस्तिष्क 'साफ' कर सकता है, कर दे.

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राहुल गांधी के लेख में ऐसा क्या लिखा है कि खड़ा हुआ बवाल, पढ़ें हिन्दी अनुवाद..

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने का एक लेख अखबारों में प्रकाशित हुआ है. उनके लेख को अंग्रेजी समेत अन्य भाषओं में प्रकाशित अखबारों ने प्रकाशित किया है. लेख पर उन्होंने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाया है. इस लेख पर बवाल मचा हुआ है. भाजपा नेताओं की तरफ से लगातार प्रतिक्रिया आ रहा है. वहीं चुनाव आयोग ने भी बयान जारी किया है. हम यहां उनके लेख का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित कर रहे हैं.....

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जेपी, संपूर्ण क्रांति और 5 जून : बहुत खास है यह तारीख

मगर आज ‘पांच जून’ को याद करते हुए मन एक अजीब से अवसाद से घिरा हुआ है. देश-समाज का मौजूदा हाल देखते हुए शिद्दत से महसूस हो रहा है कि हम उस दायित्व को पूरा करने में विफल रहे या शायद हम उतने सक्षम ही नहीं थे. मैं खुद बीच रास्ते में ही थक गया, किनारे हो गया, इसलिए किसी और की शिकायत करने का अधिकार भी नहीं है. हालांकि अनेक साथी अनवरत लगे हुए हैं. नाम लिये बिना उन सबको सलाम!

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UPSC इस देश का सबसे बड़ा अभिशाप है !

आप खोज लीजिए कि इस तंत्र ने इस देश को क्या दिया है. 10 ढंग की उपलब्धियां नहीं गिना पाएंगे. वही मनरेगा और आधार गिनाएंगे ये. अरे उपलब्धि छोड़िए, आप कुछ देर के लिए सोचें और एक चीज बताएं इस देश में जो बिल्कुल सुव्यवस्थित है.

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है ना कमाल की बात ! सब कह रहे- कम खरीद रहे और GST 16.4% बढ़ गया

खुद से सवाल करिये- क्या आपने मई महीने में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा खरीददारी कर ली. क्या आपके पड़ोसी ज्यादा खरीददारी करने लगे हैं. दोनों सवालों के जवाब यही मिलेंगे- नहीं. सबकी हालत खराब है. सबसे बुरा हाल मीडिल क्लास का है. आमदनी बढ़ नहीं रहा, फिर खर्च कहां से करें.

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युद्ध की बात दरअसल फेल्ड विदेशी कूटनीति की पैदाइश होती है

मॉर्डन नेता का काम, बातें बनाना होता है. सिर्फ रैली में नहीं, नेगोशिएशन टेबल पर भी. तो अंतराष्ट्रीय विषय, जिसे नेता को अपने बातचीत कौशल से सुलझाना चाहिए. फेल होकर जनरलों को सौप देता है. युद्ध जमीन पर बाद में लड़े जाते है. पहले दिमाग मे लड़ा जाता है. दुश्मन की मानसिकता समझ, तदनुसार काउंटर किया है.  पाकिस्तान कमजोर थ्रेट है. असली थ्रेट चीन है. तो हमारी सरकार पाकिस्तान को ही बार-बार क्यों खड़ा करती हैं.

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सावधान ! कहीं आपके घर में तो नहीं बड़ी हो रही कोई शर्मिष्ठा

नाम है शर्मिष्टा. उम्र सिर्फ 22 साल. शिक्षा-लॉ यानी कानून की पढ़ाई. कानून की नजर में सही क्या है, गलत क्या है, इसका उसे फर्क पता था और है. चर्चा में क्यों है? रील में गाली-गलौज करना. धर्म के नाम पर आपत्तिजनक रील बनाने पर गिरफ्तारी. यानी सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से.

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ऑपरेशन सिंदूर : CDS ने मोदी सरकार को फंसा दिया !

मोदी सरकार यह कभी नहीं चाहती थी कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देश को हुए लड़ाकू विमानों के नुकसान के बारे में देश व दुनिया के लोगों को पता चले. दुनिया भर में यह सवाल उठता रहा,

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अगर देश में सुप्रीम कोर्ट नहीं होता तो...!

भारतीय संविधान के लिए गठित सभा में कानून के लगभग सभी उद्भट विद्वान शामिल थे, जिन्हें डॉ. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व द्वारा देखा जा रहा था. कोई कल्पना कर सकता है कि आजादी के बाद देश में न तो सड़कों का विस्तार हुआ, न ही रेलवे का जाल बिछा था, लेकिन उन महान कानूनविदों ने देश के कोने-कोने का निरीक्षण कर उन्हें एक सूत्र में गूंथकर एक माला की शक्ल में संविधान का रूप दिया.

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शशि थरुर की टीम जिन 5 देशों में गईं, उनमें से एक कोलंबिया ने उल्टी कर दी

मोदी सरकार ने कांग्रेसी सांसद शशि थरुर के नेतृत्व में सांसदों की टीम को पांच देशों में भेजा था. टीम का काम यह था कि वह दुनिया को बताएं कि पाकिस्तान कैसे आतंकवाद को समर्थन करता है. साथ ही भारत के प्रति देशों का समर्थन हासिल करना था. टीम के लौटने के बाद कोलंबिया ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान जारी कर दिया.

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ताकतवर क्षेत्रिय नेता ना भाजपा को पसंद, ना कांग्रेस को

अब पॉलिटिकल लिखना तो नहीं चाहता लेकिन आज लिख रहा हूं. क्योंकि जो लोग खुद को एकदम तटस्थ मानते हैं वो भी लालू यादव का नाम आने पे अलग रिएक्ट करते हैं. खूब भाजपा के विपक्षी बने लेकिन लालू यादव के नाम पे चारा चोर कहेंगे, उनसे बस इतना पूछ लो कि असली केस क्या था तो बता नहीं पाएंगे.

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बिहार चुनावः सेना की बहादुरी और सियासत की बीमारी

ऐसे समय में यह जानना दिलचस्प होगा कि पिछले 20 सालों में भारतीय सेना ने कब-कब सर्जिकल स्ट्राइक किया और तब की सरकार ने इसका राजनीतिक फायदा उठाया या नहीं. तभी यह पता चलेगा कि सेना की कार्रवाइयों की आड़ में सियासत की बीमारी नई है या पुरानी.

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ट्रंप, टैरिफ, व्यापार, सीजफायर और मोदी

भारत व पाकिस्तान के बीच सीजफायर (संघर्ष रोकने) को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सीजफायर की घोषणा से पहले से ही क्रेडिट लेने में लग गए.

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