- पीएम मोदी ने कहा था- किसानों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचने देंगे.
- भारत सरकार ने कपास के आयात पर टैरिफ को खत्म कर दिया है.
- कपास के आयात पर सितंबर तक टैरिफ नहीं लगेगा.
- टेक्सटाइल उद्योग की मांग पर सरकार ने यह कदम उठाया.
- कपास के किसानों बड़ा नुकसान होने का अंदेशा.
खबर एक दिन पहले की है. मेन स्ट्रीम मीडिया (टीवी चैनल व अखबारों) ने इसे ज्यादा तरजीह नहीं दी. खबर यह है कि भारत सरकार ने एक आदेश जारी कर कपास के आयात पर शुल्क को खत्म कर दिया है. इससे संबंधित आदेश जारी कर दिए गए हैं और यह आदेश सितंबर माह तक के लिए है. यानी कि कोई भी देश भारत को कपास निर्यात कर सकता है, उस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
अब पीएम मोदी के हालिया बयान को पढ़ लीजिये..
भारत अपने किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों पर कभी भी समझौता नहीं करेगी. मैं जानता हूं कि इसके लिए मुझे व्यक्तिगत रुप से भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन मैं इसके लिए तैयार हूं. भारत अपने किसानों के साथ हमेशा खड़ा रहेगा. नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा था कि भारत कभी भी ऐसे किसी भी नीति पर समझौता नहीं करेगा, जिससे किसानों के हितों को नुकसान पहुंचे. यह बयान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय सामानों पर 50 प्रतिशत तक की टैरिफ बढ़ाने के फैसले के तुरंत बाद दिया था.
अब जरा इन तथ्यों पर गौर करें
- कपास उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का सबसे अग्रणी है.
- कपास का विश्व के उत्पादन में कुल हिस्सेदारी करीब 24 प्रतिशत है.
- 2024-25 में भारत में करीब 300 लाख गांठें (एक गांठ में 179 किलो) उत्पादन हुआ था.
- भारत का कपास उद्योग वर्ष 2024 में 10.25 अरब डॉलर का रहा है.
- वर्ष 2023-24 में भारत के किसानों ने 26 लाख गांठ कपास का निर्यात किया था.
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डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आने के बाद से ही भारत के प्रति लगातार हमलावर हैं. अमेरिकी सरकार लगातार भारत में अपने कृषि उत्पादों के निर्यात को टैरिफ से मुक्त करने के लिए दवाब बनाता रहा है. कृषि उत्पादों का भारत में निर्यात की जिद की वजह से ही भारत-अमेरिका की जो ट्रेड डील चल रही थी, वह रूक गई थी. डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीन से जो गरमागरमी हुई थी, उसकी वजह भी अमेरिकी कपास का चीन में निर्यात ही था.
नरेंद्र मोदी ने जो बात ट्रंप सरकार द्वारा टैरिफ लगाने के बाद कही, वही बात 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से भी दोहराया. फिर ऐसा क्या हुआ कि तीन दिन बाद ही एक आदेश जारी कर कपास के आयात पर टैरिफ को खत्म कर दिया गया. इस सवाल का जवाब सरकार ने नहीं दिया है. कपास पर लगने वाले टैरिफ को सितंबर माह तक खत्म करने को लेकर सिर्फ यह बताया गया है कि टेक्सटाइल बाजार की मांग पर यह किया गया है.
लेकिन क्या किसानों ने भी इसकी मांग की थी? क्या इस बात का आकलन किया गया कि किसानों को इसका कितना नुकसान होगा? पहले से ही परेशान किसानों के कपास क्या और सस्ते नहीं हो जाएंगे? या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि अलग-अलग कृषि उत्पादों के लिए समय-समय पर आदेश जारी कर अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारत के बाजार को खोला जायेगा? छुपते, छुपाते, शर्माते, सकुचाते हुए. इस सवाल का जवाब सरकार को आज नहीं तो कल देना ही होगा.
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