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ओपिनियन

मीडियाः हिंसा दिखाते हैं, प्रेम नहीं- डर बेचते हैं, दिशा नहीं

यह दरअसल न्यूज ही नहीं  है- यह एक सोची-समझी बाजार-नीति है. आज का कॉरपोरेट मीडिया निजी हाथों में है. बाजार के हाथों में खेल रहा है. सभी को पता है. ये सब मिलकर भारतीय समाज की वैवाहिक संस्था, पारिवारिक विश्वास और नैतिक जड़ों को तोड़ना चाहता है. क्योंकि टूटे हुए लोग, बंटे हुए रिश्ते- “माइक्रो consumer ” बनते हैं. हर अकेला इंसान एक नया ग्राहक है- जो अकेलापन मिटाने के लिए ज्यादा खरीदेगा, ज्यादा देखेगा, ज्यादा झुकेगा.

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बौने कद का निकला ‘महान’ तेंदुलकर!

‘यूपीए’ सरकार की कुछ गलतियों की सूची बनानी हो, तो मैं सचिन को ‘भारतरत्न’ सम्मान देने और राज्यसभा में मनोनीत करने को सबसे ऊपर गिनूंगा! मैं अपेक्षा कर रहा था कि सचिन इस तरह के सम्मान, खास कर राज्यसभा की सदस्यता लेने से खुद विनम्रतापूर्वक इनकार कर देगा. मगर ऐसा नहीं हुआ!  मुझे नहीं पता कि राज्यसभा की बैठकों में वह कितनी बार शामिल हुआ, बहस में कोई सार्थक योगदान तो दूर की बात है.

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कितना बदल गया इंसान! स्विस बैंक, काला धन, अखबार, टीवी -तब और अब

12 साल पहले तक स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि एक बड़ा मुद्दा हुआ करता था. अब नहीं. तब खूब चर्चा होती थी. अखबार में, टीवी पर, आपस में. हर जगह. अब एक चुप्पी है. सन्नाटा है. 19 जून को आयी खबर को क्या आपने पढ़ा ? पहले पन्ने पर या 15वें, 19वें पन्ने पर ? ब्रेकिंग न्यूज में देखा ? कहीं कोई डिबेट ? नहीं. मीडिया की चुप्पी को समझिए. मीडिया चुप है, इसलिए आप-हम भी चुप हैं. ना वाट्सएप पर कोई मैसेज है, ना सोसाईटी में कोई चर्चा.

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वह इजराइल और यह इजराइल!

बेशक इजराइल के सभी नागरिक नेतनयाहू जो कर रहा है, उससे सहमत नहीं होंगे, उसके खिलाफ आंदोलन चलता भी रहा है !  फिर भी नेतनयाहू को इजराइल के लोगों ने चुना है, तो उसके कुकृत्य की जवाबदेही उन पर भी आयेगी ही. उसकी बेशर्मी और उसका दुस्साहस देखिये कि खुलेआम कह रहा है कि ईरान के राष्ट्रपति खामेनेई की हत्या करना हमारा लक्ष्य है !और ट्रंप उसके साथ है, जो पूरी दुनिया को अपनी मिल्कियत समझने लगा है!

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साइप्रस को कितना जानते हैं, वह कितना महत्वपूर्ण है !

.. तो जान लीजिये हमारे लिए साइप्रस कितना महत्वपूर्ण है. यह यूरोपियन कंटिनेंट का एक देश है और साइप्रस की आबादी सिर्फ 13.4 लाख है. इस हिसाब से यह दुनिया का 161वां देश है. इससे अधिक जनसंख्या तो हमारे देश की 100 से अधिक शहरों की है.

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भूल गए ! गलवान में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत की 5वीं बरसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब सर्वदलीय बैठक में कहा था- ना वहां कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है. आज पांच साल बाद भी ऐसी खबरें आ रही हैं, जिनमें कहा जा रहा है कि चीन हमारी जमीन पर घुसा हुआ है. लेकिन लाल आंख दिखाने का दावा करने वाले आंखें मूंदे हैं.

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भारत की महिलाओं को जानना चाहिए, कौन है ग्रेटा थनबर्ग

क्या आप अपने परिवार में ऐसी किसी ग्रेटा को बर्दाश्त करेंगे? कर भी लें तो क्या समाज को मंजूर है? ऑफिस, सड़क, मॉल, फैक्ट्री या दुकान में? नहीं. क्योंकि हर जगह वह कब्जा तोड़ना चाहेगी.

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भारतीय TV मीडिया की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और पेशेवर जवाबदेही पर गंभीर सवाल

7 जून को वॉशिंगटन पोस्ट ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें यह उजागर किया गया है कि भारत के प्रमुख न्यूज चैनलों ने 9 मई की रात पाकिस्तान में तख्तापलट और युद्ध जैसी मनगढ़ंत खबरें फैलाईं, जो पूरी तरह झूठी साबित हुईं. रिपोर्ट में बताया गया है कि किस तरह व्हाट्सएप संदेशों, अज्ञात सूत्रों और सोशल मीडिया अफवाहों के आधार पर भारतीय मीडिया ने एक काल्पनिक युद्ध का तानाबाना बुना, जिसे न तो सेना ने पुष्टि की और न ही सरकार ने. यह रिपोर्ट भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता, निष्पक्षता और पेशेवर जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करती है. आप भी पढ़ें...

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इतिहास को मरोड़ने से नाकारापन नहीं छिपती

कभी-कभी ऐसा प्रतीत होने लगता है कि हमारा देश संभवत: आदिम युग में पहुंच गया है और चूंकि देश अभी सौ फीसदी शिक्षित नहीं हो पाया है, इसलिए समाज को चाहे जैसे भी हो, इतिहास की अच्छी बुरी बातों से उसे भ्रमित करके रखा जाए. यही बात राजनीतिज्ञों को लाभ पहुंचता है और सही जानने और बताने वाला बगलें झांकने लगता है. आज यह एक आम बात हो गई कि अपनी भाषा प्रवाह में प्रवाहित करके जो समाज का जितना मस्तिष्क 'साफ' कर सकता है, कर दे.

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राहुल गांधी के लेख में ऐसा क्या लिखा है कि खड़ा हुआ बवाल, पढ़ें हिन्दी अनुवाद..

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने का एक लेख अखबारों में प्रकाशित हुआ है. उनके लेख को अंग्रेजी समेत अन्य भाषओं में प्रकाशित अखबारों ने प्रकाशित किया है. लेख पर उन्होंने चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाया है. इस लेख पर बवाल मचा हुआ है. भाजपा नेताओं की तरफ से लगातार प्रतिक्रिया आ रहा है. वहीं चुनाव आयोग ने भी बयान जारी किया है. हम यहां उनके लेख का हिन्दी अनुवाद प्रकाशित कर रहे हैं.....

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जेपी, संपूर्ण क्रांति और 5 जून : बहुत खास है यह तारीख

मगर आज ‘पांच जून’ को याद करते हुए मन एक अजीब से अवसाद से घिरा हुआ है. देश-समाज का मौजूदा हाल देखते हुए शिद्दत से महसूस हो रहा है कि हम उस दायित्व को पूरा करने में विफल रहे या शायद हम उतने सक्षम ही नहीं थे. मैं खुद बीच रास्ते में ही थक गया, किनारे हो गया, इसलिए किसी और की शिकायत करने का अधिकार भी नहीं है. हालांकि अनेक साथी अनवरत लगे हुए हैं. नाम लिये बिना उन सबको सलाम!

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UPSC इस देश का सबसे बड़ा अभिशाप है !

आप खोज लीजिए कि इस तंत्र ने इस देश को क्या दिया है. 10 ढंग की उपलब्धियां नहीं गिना पाएंगे. वही मनरेगा और आधार गिनाएंगे ये. अरे उपलब्धि छोड़िए, आप कुछ देर के लिए सोचें और एक चीज बताएं इस देश में जो बिल्कुल सुव्यवस्थित है.

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है ना कमाल की बात ! सब कह रहे- कम खरीद रहे और GST 16.4% बढ़ गया

खुद से सवाल करिये- क्या आपने मई महीने में पिछले साल के मुकाबले ज्यादा खरीददारी कर ली. क्या आपके पड़ोसी ज्यादा खरीददारी करने लगे हैं. दोनों सवालों के जवाब यही मिलेंगे- नहीं. सबकी हालत खराब है. सबसे बुरा हाल मीडिल क्लास का है. आमदनी बढ़ नहीं रहा, फिर खर्च कहां से करें.

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युद्ध की बात दरअसल फेल्ड विदेशी कूटनीति की पैदाइश होती है

मॉर्डन नेता का काम, बातें बनाना होता है. सिर्फ रैली में नहीं, नेगोशिएशन टेबल पर भी. तो अंतराष्ट्रीय विषय, जिसे नेता को अपने बातचीत कौशल से सुलझाना चाहिए. फेल होकर जनरलों को सौप देता है. युद्ध जमीन पर बाद में लड़े जाते है. पहले दिमाग मे लड़ा जाता है. दुश्मन की मानसिकता समझ, तदनुसार काउंटर किया है.  पाकिस्तान कमजोर थ्रेट है. असली थ्रेट चीन है. तो हमारी सरकार पाकिस्तान को ही बार-बार क्यों खड़ा करती हैं.

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सावधान ! कहीं आपके घर में तो नहीं बड़ी हो रही कोई शर्मिष्ठा

नाम है शर्मिष्टा. उम्र सिर्फ 22 साल. शिक्षा-लॉ यानी कानून की पढ़ाई. कानून की नजर में सही क्या है, गलत क्या है, इसका उसे फर्क पता था और है. चर्चा में क्यों है? रील में गाली-गलौज करना. धर्म के नाम पर आपत्तिजनक रील बनाने पर गिरफ्तारी. यानी सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से.

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