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परमानेंट नौकरियां तो अब भूल ही जाइये

Girish Malviya

 

परमानेंट नौकरियां तो अब आप भूल ही जाइए, मोदी सरकार ने कल पूंजीपतियों को हायर एंड फायर का ब्रह्मास्त्र सौंप दिया है. देश में जो नया लेबर कोड लागू हुआ है, उसके प्रावधान आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि यह बेसिकली कंपनियों के फायदे के लिए ही बने हैं. 

 

सबसे गजब का प्रावधान यह है कि अब कंपनियां परमानेंट नौकरियों को फिक्स्ड टर्म कांट्रैक्ट में तब्दील कर सकती है. मीडिया में इस बात का खूब प्रचार किया जा रहा है कि फिक्स टर्म कांट्रैक्ट वर्कर्स को भी परमानेंट कर्मचारियों की तरह ही सभी सुविधाएं दी जाएंगी. लेकिन ये नहीं बताया जा रहा कि ऐसे वर्कर्स को नौकरी से हटाने पर कोई कंपनसेशन नहीं मिलेगा, जो स्थायी कर्मचारियों को मिलता है. यानी यह कर्मचारियों के लिए नहीं, बल्कि कंपनियों के हित साधने का प्रावधान है.

 

भविष्य में सरकारी, निजी या सार्वजनिक क्षेत्र में कोई भी स्थायी रोजगार नहीं होगा. निश्चित अवधि के रोजगार को वैध बनाकर नियोक्ता अब दीर्घकालिक नौकरी सुरक्षा की जिम्मेदारी से मुक्त हो गए हैं. ट्रेड यूनियन अपनी प्रासंगिकता खो देंगे, क्योंकि छोटे अनुबंधों पर रखे गए श्रमिकों के कारण उनकी सदस्यता आधार ही खत्म हो जाएगी.

 

पहले जो कानून लागू था उसके  मुताबिक, किसी फैक्ट्री में 100 से ज़्यादा कर्मचारी काम कर करें तो उन्हें निकालने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी होती थी, अब नए कोड में यह संख्या 300 कर दी गई है. यानी 300 से कम कामगार हों तो उसे बंद करने के लिए सरकार की मंजूरी जरूरी नहीं होगी. यानी अब नियोक्ता की कर्मचारियों की कभी भी छंटनी करने का अधिकार मिल गया है. 

 

माना जा रहा है कि अब लगभग चार में से तीन कंपनियों को ये अधिकार मिल जाएगा कि वो कभी भी अपनी कंपनी से किसी भी कर्मचारी को एक मिनट में निकाल सकती है. इसके अलावा, फैक्ट्रियों में काम के घंटे नौ से बढ़ाकर 12 घंटे और दुकानों तथा प्रतिष्ठानों में नौ घंटे से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिए गए हैं. कई राज्यों में कानून बनाकर इसे लागू भी कर दिया है. 

 

यानी जिसे श्रम कानूनों में सुधार बताकर मीडिया में प्रचारित किया गया है, वो पूरी तरह से कंपनियों के पक्ष में है. आज के बाद से फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को सजा देने, निकालने, प्रमोशन में पक्षपात जैसे नियम पूरी तरह से कंपनी के हाथों में आ गए हैं.  लिख के रख लीजिए कि ये कानून देश की इकनॉमी को गिग इकॉनमी में बदल देंगे और परमानेंट जॉब को पूरी तरह से खत्म कर देंगे.

 

डिस्क्लेमर :  ये लेखक के निजी विचार है 

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