खबर है कि देश के 272 पूर्व (रिटायर्ड जज) और रिटायर अफसरों ने एक पत्र लिखा है. पत्र में सभी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की आलोचना की है. कहा है कि वह चुनाव आयोग पर आरोप लगाकर एक संवैधानिक संस्था को बदनाम कर रहे हैं. चुनाव आयोग की छवि खराब कर रहे हैं. 19 नवंबर को यह खबर अचानक से सुर्खियों में आयी और मेन स्ट्रीम मीडिया और सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी.
272 रिटायर्ड जजों व अफसरों के पत्र को आप Kill The Messenger (अप्रिय सूचना देने वाले को मार दो) मुहावरे से जोड़ करके भी देख सकते हैं. यानी उस व्यक्ति को ही खत्म कर दो जो आपको बुरी खबरें बताता हो. पुराने जमाने में राजा भी यही किया करता था, जो उसे अप्रिय सूचना देता था, उसे खत्म कर दिया जाता था. बिना यह जांचे कि जो सूचना है, उसका श्रोत क्या है. खत्म कर देने की सजा सिर्फ इसलिए क्योंकि उसकी बातें किसी को अप्रिय लग रहा है.
पत्र लिखने वाले पूर्व जजों ने चुनाव आयोग द्वारा राहुल गांधी के आरोपों की जांच न कराने की आलोचना नहीं की है. बल्कि आरोप लगाने की ही आलोचना की गई है. राहुल गांधी ने अब तक जो तीन प्रेस कॉन्फ्रेंस किये, उसमें जो तथ्य दिया, उन तथ्यों की जांच की मांग करने के बजाय सवाल उठाने वाले को ही कटघरे में खड़े किये जाने की घटनाओं की वजह से ही Kill The Messenger का मुहावरा बना है.
क्या पत्र लिखे जाने से पहले यह सुनिश्चित करने की मांग नहीं की जा सकती कि राहुल गांधी ने जो आरोप लगाये हैं, उनकी जांच हो. जांच में आरोप गलत साबित होते हैं, तो राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई हो. लेकिन वो ऐसा क्यों मांग करेंगे. ऐसा लगता है कि वो उस मुहावरे को फिर से स्थापित करना चाहते हैं जिसमें अप्रिय सूचना देने वाले को ही खत्म करने के लिए कहा जाता है.
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