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ओपिनियन

टैक्स की मारः मर रहा आम उपभोक्ता और नगदी के पहाड़ पर बैठे अमीर

आपने अक्सर कहीं ना कहीं सुना होगा. महसूस किया होगा. झेला होगा.  पहली यह कि आम लोग, खासकर मीडिल क्लास टैक्स की मार से मरता जा रहा है. जमीन में ढ़ंसता जा रहा है. बचत सूख गया है और दूसरी बात जो आपसे कम लोग बताते हैं या यूं कहें कम लोग जानते हैं, वह यह कि भारत के अमीर नगदी (कैश) के पहाड़ (रिकॉर्ड बचत) पर बैठे हैं. एक बार और सुनते हैं कि पैसे वालों के टैक्स से गरीबों को मुफ्त में रेवड़ी मिलता है. आज की तारीख में इससे बड़ा झूठ कुछ नहीं है.

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अदालत को पुख्ता सबूत दीजिए ताकि सही निर्णय हो सके

अपराध और आपराधिक प्रवृतियों को रोकने के लिए हमारे वेदों-पुराणों में भी उल्लेख किया गया है. यहां तक कि किस अपराध और किस अपराधी को किस तरह का दंड दिया जाए, इसका भी वर्णन किया गया है.

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उनको माफ कर देना मेजर शैतान सिंह. वो नहीं जानते वो क्या कह रहे हैं.

बर्फबारी कुछ दिन बाद रुकी. सीजफायर हो चुका था, मगर बर्फ की मोटी तह हो चुकी थी.  सारे निशान मिट चुके थे. पूरे तीन माह के बाद बाद जब बर्फ पिघली, इनकी तलाश शुरू हुई. एक चरवाहे को पहाड़ी पर लाशों का ढेर दिखा.

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क्या आपको पता चला - सत्येंद्र जैन चोर नहीं हैं

बहुत वक्त नहीं बीते हैं. टीवी चैनलों पर आपको बताया जा रहा था - केजरीवाल भ्रष्ट है. मनीष सिसोदिया भ्रष्ट है, सत्येंद्र जैन चोर है. हर रोज बहस होती थी. चिल्लम-चिल्ली, गाली-गलौज वाली भाषा. दिल्ली में केजरीवाल की पार्टी हार गई. भाजपा जीत गई. भाजपा की सरकार बन गई है. पर, दो दिन पहले यह पता चला कि सत्येंद्र जैन चोर नहीं हैं.

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राहुल एटम बम फोड़ेंगे

वैसे तो राहुल महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में आयोग की पक्षधरता से पहले ही खफा थे, उपर से बिहार में सघन मतदाता पुनरीक्षण जैसी कार्यवाही से उनकी भृकुटि तन गई है. इसलिए वह निर्वाचन आयोग नामक विषाणु को सदा सर्वदा के लिए खत्म कर देना चाहते हैं ताकि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा की जा सके. न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी.

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शिबू सोरेन : झारखंड का सबसे बड़ा चेहरा व संघर्ष की कहानी

शिबू सोरेन, जिन्हें 'दिशोम गुरु' के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय राजनीति में एक ऐसे व्यक्तित्व हैं. जिन्होंने झारखंड के आदिवासी समुदाय के उत्थान और उनके अधिकारों के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.

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रविकिशन तो समोसे के साइज पर ही अटक गये

गोरखपुर के सांसद रविकिशन इन दिनों चर्चा में हैं. चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि लोकसभा में उन्होंने सवाल पूछा और इस बात पर दुख जाहिर किया कि गोरखपुर समेत देश भर में समोसे का साइज एक जैसा क्यों नहीं है! उनका यह सवाल वायरल हुआ. उनका वीडियो आपके मोबाइल पर भी तैर रहा होगा. बुद्धिजीवी वर्ग में इस बात पर चर्चा हो रही है कि रविकिशन ने पूछा भी तो क्या पूछा? क्या संसद में समोसे पर सवाल पूछने का कोई औचित्य है या फिर एक बड़े और लोकतंत्र के सबसे उंचे मंच, जहां गंभीर व आम लोगों से जुड़े मुद्दे पर चर्चा होने चाहिए, उन्होंने बेहद हल्का बना दिया?

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यह ‘विजयोत्सव’ था?

वैसे एनसीआरटी ने पाठ्यपुस्तकों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शामिल करने का फैसला कर ही लिया है, उसमें एक चैप्टर विजयोत्सव का भी जुड़ जायेगा! मगर तत्कालीन शासकों के अनुकूल कुछ भी लिख देने से वह इतिहास नहीं हो जाता! आज आप पहले लिखे गये इतिहास को अपने ढंग से ‘दुरुस्त’ कर रहे हैं, कल आपके लिखे को भी दुरुस्त किया जायेगा! उस इतिहास में वह सब भी दर्ज होगा, जो आपको पसंद नही है! इतिहास हमेशा शासक की इच्छा और सहूलियत से ही नहीं लिखा जाता और इतिहास वही नहीं होता, तो पाठ्य पुस्तकों में दर्ज होता है.

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नुक़्ते के हेर-फेर से खुदा जुदा हो गये

अभूतपूर्व से भूतपूर्व बन गए हैं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़. एक हफ्ता बीत गया उन्हें इस्तीफा दिये हुए. लेकिन न वह कुछ बोल रहे हैं, न सरकार. खबर सिर्फ इतनी है कि उनकी सेहत इतनी खराब हो गई थी कि संसद के चलते सत्र में वह सभापति (उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेन सभापति होता है) का बोझ उठाने में असमर्थ हो गये थे. लेकिन उनका इलाज कौन कर रहा है, कहां हो रहा है, इस बारे में न तो वह कुछ बता रहे हैं, न सरकार की ओर से कोई सूचना मिल रही है.

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बैंकों ने कर ली 8500 करोड़ की वसूली और लुट गया मीडिल क्लास

पिछले हफ्ते आपने एक खबर जरुर पढ़ी होगी. खबर थी- पिछले 5 सालों (2019-20 से 2023-24) में बैंकों ने 8500 करोड़ रुपये की कमाई कर ली. दूसरे भाषा में कहें कि बैंकों ने 8500 करोड़ रुपये की वसूली कर ली. यह जानकारी केंद्र सरकार ने संसद में दी है.

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सरकारी समारोह में मंत्री ने गैर सरकारी लोगों को करीबी होने का मानद सर्टिफिकेट बांटा

मौका डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांटने का था. स्टेज को सलीके से सजाया गया था. स्टेज पर मंत्री, अपर मुख्य सचिव सहित दूसरे अधिकारी बैठे थे. नियुक्ति पत्र पाने वाले डॉक्टर अपने लिए बनायी गयी जगह पर बैठे थे. इस बीच बिन बुलाये ही मंत्री का एक करीबी फुदक कर स्टेज पर चढ़ गया. स्टेज पर बैठे अपर मुख्य सचिव के पीछे की कुर्सी पर बैठ गया. लेकिन उसे किसी ने कुछ नहीं कहा. क्योंकि वह मंत्री के इर्द गिर्द मंडराते रहता है. विभागीय कर्मचारी उसे मंत्री के प्रतीक के रूप में जानते हैं. बताते हैं कि उसका असली नाम भी प्रतीक है.

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बिहार में औद्योगिक जागृति कैसे आए इसपर विचार करें

सच में, अब ऐसा लगने लगा है कि बिहार में जो बाहुबली है, उसके लिए कोई रोकटोक नहीं है और वह जब चाहे जहां चाहे किसी की हत्या करवा सकते हैं. पिछले दिनों जिन दुर्दांत अपराधियों ने सरेशाम राज्य की राजधानी पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या को अंजाम दिया, इसका दूरगामी परिणाम निश्चित रूप  से आज नहीं कल सामने आएगा ही

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व्यंग ... और मुर्गे ने इस्तीफा दे दिया!

सभी स्वामीभक्तों को याद दिलाने के लिए (एसआरआर यानी सर, जी सर, जी, जी के संदर्भ में).  एक पुरानी कहानी जो अचानक दो दिन से फिर से खूब याद की जा रही है. "एक आदमी एक मुर्गा खरीद कर लाया. एक दिन वह मुर्गे को मारना चाहता था, इसलिए उसने मुर्गे को मारने का बहाना सोचा और मुर्गे से कहा "तुम कल से बांग नहीं दोगे, नहीं तो मैं तुम्हें मार डालूंगा."

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क्या मोदी रिटायर हो रहे हैं

इस लाल बुझक्कड़ी सुगबुगाहट का कारण शायद यह है कि मोदी सितंबर में 75 साल के हो जाएंगे और मोहन भागवत का सुझाव टाल पाना उनके लिए संभव नही होगा. लेकिन क्या भागवत खुद संघ प्रमुख का पद त्याग देंगे ? आखिर वह भी इसी सितंबर में 75 साल के हो रहे हैं. वह मोदी से एक हफ्ता बड़े हैं.

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फांसी पर लटकने वाले बैंक मैनेजर शिवशंकर मित्रा की पीड़ा को कभी समझ पाएंगे हम !

बैंक के अत्यधिक कार्य दबाव के कारण अपनी जिंदगी खत्म कर रहा हूं. मेरी बैंक से विनती है कि कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव न डाला जाए. सभी कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं और अपना 100% देते हैं. मेरी पत्नी और बेटी से माफी मांगता हूं. कृपया मेरी आंखें दान कर दें.

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