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मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति आदर्श गोयल और जगदीप धनखड़

Sanjaya Kumar Singh

 

राहुल गांधी के खिलाफ चिट्ठी लिखने वालों के कारनामों के खुलासे में अब पहले नंबर के प्रख्यात नागरिक, न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की एक चिट्ठी निकल आई है. प्रख्यात नागरिकों में से 12 की चर्चा में इनकी चर्चा हो चुकी है. वह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के करीबी हैं, यह सर्वविदित है. इसके लाभ आदि की चर्चा सार्वजनिक है और अभी वह सब मुद्दा नहीं है. अभी उनकी एक चिट्ठी चर्चा में है.

 

चिट्ठी इन्होंने उस समय के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति दीपक मिश्र को लिखी थी. दिलचस्प है कि यह पत्र देश के मौजूदा मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के बारे में है. पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के रिटायर होने के बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत का मुख्य न्यायाधीश होना तय है और आपचारिकताएं पूरी होने के बाद शपथ ग्रहण पर यह खुलासा हुआ है. हालांकि, उनके भाजपाई संपर्कों की चर्चा पहले से है. लेकिन अभी वह भी मुद्दा नहीं है. 

 

अब जो खुलासा हुआ है वह 2018 का है और भाजपा के प्रख्यात नागरिकों का आपसी मामला लगता है. न्यायमूर्ति गोयल सरकार के खास रहे हैं और यह किसी से छिपा नहीं है. लेकिन अब पता चल रहा है कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश के मामले में इनकी सिफारिश प्रतिकूल थी और मानी नहीं गई. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने इन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने के लिए उपयुक्त नहीं माना था और तबके मुख्य न्यायाधीश को लिखा था. लिखा था- "मेरे आकलन के अनुसार, जैसी राय मैं पहले दे चुका हूं, विस्तृत जांच होने तक न्यायमूर्ति सूर्यकांत मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए उपयुक्त नहीं हैं." 

 

जाहिर है, यह हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति का मामला है और तथ्य है कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत अब देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश होने वाले हैं. उनका शपथग्रहण 24 नवंबर यानी सोमवार को है.

 

यह चिट्टी अचानक चर्चा में नहीं आ गई है. Indian Express की एक रिपोर्ट में इसका उल्लेख था - “January 10 Collegium meeting : Another judge posting splits Supreme Court” शीर्षक से Indian Express ने 20 फरवरी 2018 को अपनी रिपोर्ट में बताया कि जस्टिस एके गोयल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने “सम्मानपूर्वक असहमति” जताते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की सिफारिश पर रोक लगाने की मांग की.

 

उसी रिपोर्ट में कहा गया है कि गोयल “कंसल्टी जज” (consultee judge) थे, क्योंकि उन्होंने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में पहले सेवा दी थी और उनकी राय मांगी गई थी. वहां यह भी उल्लेख है कि गोयल ने शुरुआत में मार्च 2017 में भी राय दी थी, जिसमें उन्होंने सूर्यकांत के खिलाफ संपत्ति, क्लासिज्म (जातिवाद) और भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच कराने का प्रस्ताव रखा था.

 

The Caravan मैगजीन ने विश्लेषण में कहा है कि गोयल का पत्र “12 जनवरी 2018” की तारीख का था और उन्होंने लिखा था कि उन्होंने पहले की शिकायतों पर स्वतंत्र मूल्यांकन रिपोर्ट (“independent valuation reports of the properties”) तैयार कराने की सलाह दी थी.  उसी लेख में यह कहा गया है कि गोयल की राय “फाइल में पहले से मौजूद थी.” यानी सिर्फ वायरल करने का नाटक नहीं, बल्कि उनकी आपत्ति को कोलेजियम से पहले ही गंभीरता से लिया गया था.

 

न्यायमूर्ति सूर्यकांत के बारे में यह खुलासा या चर्चा हुई है तो महीनों से शांत जगदीप धनखड़ भी कुछ दिलचस्प बोल गए. उन्होंने कहा है, भगवान करे कोई नैरेटिव के चक्कर में न फंस जाए, इस चक्रव्यू में कोई फंस गया तो निकलना मुश्किल है. इसके साथ उन्होंने कहा कि मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा हूं और लोग हंसने लगे. आप जानते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर कुमार यादव और दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद भेज दिए गए जज यशवंत वर्मा के मामलों में महाभियोग के नोटिस का मामला चल रहा था और एक दिन अचानक धनखड़ का इस्तीफा हो गया. उसके बाद वे लंबे समय तक एकांतवास में रहे. उप राष्ट्रपति के चुनाव के दिन दिखे पर कुछ बोले नहीं और कल अचानक दिखे और बोले भी.

 

पत्र का हिंदी अनुवाद

Dear Chief Justice,

यह आपके लेटर नंबर CC/Apptt/CJ/2018/2416 दिनांक 11 जनवरी 2018 के संदर्भ में है, जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज मिस्टर जस्टिस सूर्यकांत को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस अपॉइंट करने के प्रस्ताव पर मेरी राय मांगी गई थी.

 

मैंने नोट किया है कि कॉलेजियम ने मिस्टर जस्टिस एके मित्तल के नाम पर भी विचार किया था, जो उसी हाईकोर्ट में मिस्टर जस्टिस सूर्यकांत से सीनियर हैं और जरूरी बातों पर विचार करने के बाद कॉलेजियम ने मिस्टर जस्टिस सूर्यकांत को जस्टिस एके मित्तल से ज़्यादा सही माना.

 

मैं इस प्रस्ताव से विनम्रतापूर्वक असहमति रखता हूं. भारत के उस समय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा मिस्टर जस्टिस सूर्यकांत के खिलाफ करप्शन की शिकायतों पर मेरी राय मांगी गई थी. मैंने 11 मार्च, 2017 को अपनी राय दी थी, जिसमें जज द्वारा खरीदी गई संपत्ति के लिए स्वतंत्र मूल्यांकन रिपोर्ट लेने का सुझाव भी दिया गया था.

 

मैंने करप्शन और जातिवाद से जुड़ी दूसरी शिकायतों पर भी राय दी थी (संदर्भ के लिए उस राय की एक प्रति संलग्न है). इसके नतीजे के बारे में मेरे पास कोई जानकारी नहीं है. मेरे आकलन के अनुसार, जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती है, जस्टिस सूर्यकांत चीफ जस्टिस के तौर पर अपॉइंटमेंट के लिए सही नहीं हैं. ऐसा मैंने पहले ही कहा है.

 

मुझे 10 अप्रैल, 2017 को उस समय के भारत के मुख्य न्यायाधीश का पत्र मिला था, जिसमें जस्टिस एके मित्तल को दिल्ली हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस एप्वाइंट करने के प्रस्ताव पर मेरी राय मांगी गई थी. मैंने अपनी राय दी. उस समय के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, एक ही पेरेंट हाईकोर्ट से होने के कारण, दोनों जजों की तुलनात्मक प्रतिभा और उपयुक्तता से ज्यादा वाकिफ थे. कॉलेजियम के कुछ सदस्य पहले के कॉलेजियम का भी हिस्सा थे. इसलिए, मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि सभी जरूरी बातों पर विचार करने के बाद, मिस्टर जस्टिस सूर्यकांत ज्यादा उपयुक्त हैं.

 

डिस्क्लेमर :  ये लेखक के निजी विचार हैं

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