Sanjay Kumar Singh
मतदाता सूची से संबंधित राहुल गांधी के खुलासों से जली-भुनी भाजपा ने सोनिया गांधी के वोटर कार्ड का चार दशक से ज्यादा पुराना मामला जिन्दा कर दिया है. दूसरी तरफ राहुल गांधी ने चाय पर मृत लोगों से मुलाकात की और अपने इस अनोखे अनुभव के लिए चुनाव आयोग को धन्यवाद दिया है. 
खबर तो राहुल गांधी वाली दिलचस्प है, लेकिन खुद को देशभक्त कहने वालों ने सोनिया गांधी वाली खबर को ज्यादा महत्व दिया है. इनमें भाजपा की ट्रोल सेना से प्रभावित सोशल मीडिया भी है. सोनिया गांधी के नाम वाली मतदाता सूची की जो प्रति सोशल मीडिया पर घूम रही है, वह 1980 की बताई जा रही है और उसे न्यू दिल्ली संसदीय क्षेत्र का बताया गया है.
यह 1970 के दशक का छपा या साइक्लोस्टाइल फॉर्म है, जिसमें नाम हाथ से लिखा गया लगता है. इसमें नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र को "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र” का भाग बताया गया है. सबको पता है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की अवधारणा बहुत बाद की है.
"राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र" कहने का प्रचलन औपचारिक रूप से 1985 में शुरू हुआ. उस समय एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की स्थापना की गई और दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों को मिलाकर एक समन्वित विकास क्षेत्र घोषित किया गया. इसका आधार था "राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना बोर्ड अधिनियम, 1985". इसे भारत की संसद ने पास किया था.
दिल्ली महानगरीय क्षेत्र (डीएमए या दिल्ली मेट्रोपोलिटन एरिया) 1962 में प्रयुक्त हुआ नाम है. इसमें आसपास के शहर शामिल थे, पर “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र” शब्द नहीं था. नेशनल कैपिटल रीजन या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का कोई स्पष्ट उदाहरण 1985 से पहले नहीं मिलता है. इसी समय इसे कानूनी रूप से मान्यता मिली थी, लेकिन इसे “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र” के रूप में नामित नहीं किया गया था. प्रयोग तो नहीं ही होता था.
जहां तक नेशनल कैपिटल रीजन या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का प्रयोग लिखने में करने का संबंध है, 1961 में क्षेत्रीय योजना के लिए सक्रिय सलाहकार, उच्चाधिकार बोर्ड में भी नेशनल कैपिटल रीजन का औपचारिक प्रयोग नहीं मिलता है. 
अंततः 1985 में संसद में पास एनसीआर प्लानिंग बोर्ड अधिनियम के जरिये औपचारिक रूप से “नेशनल कैपिटल रीजन” की स्थापना की गई और यह नाम पहली बार विधि-व्यवस्था में शामिल किया गया.
अब आइये देखते हैं कि यह दस्तावेज आया कहां से? अमित मालवीय ने अपने इस आरोप के साथ द पायोनियर में 11 मई को प्रकाशित ए सूर्य प्रकाश की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है. इसके अनुसार, सोनिया गांधी पहले वोटर बन गई थीं, नागरिक बाद में बनीं.
इससे साबित होता है कि चुनाव आयोग विदेशियों को मतदाता सूची से छांटने का काम अब कर रहा है तो यह 1980 से होता रहा है. घुसपैठियों के नाम पर विदेशियों को मतदाता सूची में शामिल किये जाने का भाजपाई या नरेन्द्र मोदी का मामला विदेशियों से कम बांग्लादेशियों, नेपालियों आदि से ज्यादा संबंधित है और एक अन्य मामले से साबित होता है कि विदेशियों का नाम मतदाता सूची में शामिल होना बहुत आम रहा है. पर वह अलग मुद्दा है.
सोनिया गांधी का मुद्दा सबसे पहले सूर्या इंडिया के अक्तूबर 1982 अंक में छपा था. इसका हवाला ए सूर्यप्रकाश की रिपोर्ट में है. इसमें कहा गया है, सूर्या इंडिया ने उस समय के चुनाव अधिकारी के हवाले से कहा था, आवेदक देश के नागरिक हैं कि नहीं, इसकी जांच करना हमारा काम नहीं है. हम उम्मीद करते हैं कि केवल वाजिब लोग अपना नाम दर्ज करायेंगे.
जाहिर है, चुनाव आयोग का काम नागरिकता तय करना नहीं रहा है. अब चुनाव आयोग अपने अधिकारों की बात कर रहा है, लेकिन कर्तव्य में फिसड्डी साबित हो चुका है. यहां यह उल्लेखनीय है कि सूर्या इंडिया की संपादक मेनका गांधी रही है. आप जानते हैं कि मेनका गांधी इंदिरा गांधी की दूसरी बहू और सोनिया गांधी के पति दिवंगत राजीव गांधी के छोटे भाई, दिवंगत संजय गांधी की विधवा है.
मेनका गांधी इस समय भारतीय जनता पार्टी में हैं. सूर्या इंडिया की रिपोर्ट की चर्चा इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने वाले सीबीआई अधिकारी एनके सिंह, अब रिटायर आईपीएस ने अपनी पुस्तक द प्लेन ट्रुथ में की है. 
पुस्तक के अनुलग्नक में सूर्या इंडिया की एक रिपोर्ट लगाई गई है, जो गिरफ्तारी से संबंधित उनके विवरण से अलग है. यह नवंबर 1977 के अंक में प्रकाशित हुई थी.
उल्लेखनीय है कि संजय गांधी का निधन 23 जून 1980 को एक विमान दुर्घटना में हो गया था. वे एक प्रशिक्षण विमान उड़ा रहे थे. संजय गांधी की मृत्यु के बाद उनकी विधवा मेनका गांधी अपनी सास इंदिरा गांधी के साथ ही रहती रहीं. 
1982 में राजनीतिक और वैचारिक मतभेद के कारण मेनका और इंदिरा गांधी के संबंध बिगड़ गए. अंततः मार्च 1982 में अपने बेटे, वरुण गांधी के साथ वे इंदिरा गांधी से अलग हो गईं. उनके बेटे वरुण गांधी भी भाजपा सांसद रह चुके हैं. 
ए सूर्य प्रकाश इंडियन एक्सप्रेस में भी रहे हैं. भाजपा सरकार ने उन्हें प्रसार भारती का अध्यक्ष बनाया था. 2025 में वे पद्मभूषण से भी सम्मानित किये जा चुके हैं.
डिस्क्लेमरः लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और यह लेख उनके सोशल मीडिया वॉल से लिया गया है.
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