बोकारोः COP में जलवायु परिवर्तन के संकट से निबटने पर मंथन

कॉन्फ्रेंस में सात जिलों के 80 प्रतिनिधियों ने लिया भाग

Bokaro : जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट से निबटने के लिए झारखंड की पंचायती राज संस्थाएं आगे आ रही हैं. इसी क्रम में बुधवार को बोकारो में ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पंचायत’ (COP) का आयोजन किया गया. इसमें जलवायु परिवर्तन के बढ़ते संकट से निबटने के तरीकों पर मंथन हुआ. कॉन्फ्रेंस का आयोजन पॉलिसी एंड डेवलपमेंट एडवायजरी ग्रुप (PDAG), असर व पंच सफर ने किया था. बतौर मुख्य अतिथि बोकारो डीसी अजय नाथ झा व विशिष्ट अतिथि डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर रजनीश कुमार शरीक हुए. कॉन्फ्रेंस में उत्तरी छोटानागपुर के सात जिलों  बोकारो, रामगढ़, हजारीबाग, धनबाद, गिरिडीह, चतरा व कोडरमा के 80 से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लिया.

डीसी अजय नाथ झा ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधि आगामी तीन वर्षों के लिए जलवायु परिवर्तन से निबटने की विस्तृत योजना तैयार करें और एक वर्ष में उसे लागू करने की दिशा में कार्य प्रारंभ करें. इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में जलवायु सस्टेनेबिलिटी पर काम करना जरूरी है. प्रशासन इसमें हरसंभव सहयोग करेगा. उन्होंने कहा कि गांव स्तर से ही वैश्विक जलवायु संकट से निबटा जा सकता है. पंचायतों को इस दिशा में सजग और सक्रिय होना होगा.

डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर रजनीश कुमार ने कहा कि अब समय आ गया है जब ग्लोबल समस्याओं का लोकल समाधान ढूंढा जाए. पंचायतों को जलवायु नीतियों में स्थानीय इनपुट देने चाहिए, ताकि ठोस समाधान निकल सके. हजारीबाग जिले की चरही पूर्वी पंचायत समिति सदस्य आशा राय ने बताया कि उनके गांव के गुजरी चूड़ी नदी के सूखने से हाथियों का गांव की ओर रुख बढ़ा है. हाथी फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. 

कॉन्फ्रेंस में पंचायती राज संस्थाओं को Climate Finance प्राप्त करने और उसके प्रभावी उपयोग के तौर-तरीकों पर जानकारी दी गई. साथ ही NAFCC और CAMPA जैसे वित्तीय तंत्रों के बारे में समझ बढ़ाने पर जोर दिया गया. बताया गया कि ग्रामीण आजीविका का बड़ा हिस्सा सामुदायिक संसाधनों (कॉमन्स) पर निर्भर है, जो अब खतरे में हैं. इन संसाधनों का संरक्षण और बेहतर शासन मॉडल अपनाकर जलवायु संकट से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है.

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